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रविवार, 25 दिसंबर 2022

छंद सारंगी, चित्रा, सीता, नलिनी, कुञ्ज, दीपक, मालिनी, उपमालिनी

 १५ वर्णिक अतिशर्करी जातीय छंद

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१. सारंगी
विधान - ५ म। यति - ८-७।
माया जीवों को मोहेगी; प्राणों से ज्यादा प्यारी।
ज्यों ही पाई खोई त्यों ही; छाया कर्मों की क्यारी।।
जैसा बोया वैसा काटा; जो लाया वो ले जाए -
काया को काया ही भाती; माटी को माटी न्यारी।।
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२. चित्रा
विधान - म म म य य। यति - ८-७।
क्या तेरा क्या मेरा साधो; बोल दे साँच भाई।
खाली हाथों आना-जाना; जोड़ता व्यर्थ भाई।।
झूठे सारे रिश्ते नाते; वायदे झूठ सारे-
क्या कोई भी साथी होता आखिरी वक़्त भाई।।
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३. सीता
विधान - र त म य र। यति - ८-७।
झूठ बोलो यार तो भी; सत्य बोला बोलना।
सार बोला या न बोलै; किंतु बोलै तोलना।।
प्यार होता या न होता; किंतु दे-पाया कहो-
राह है संसार का जो; राज तू ना खोलना।।
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४. नलिनी / भ्रमरावली / मनहरण
विधान - ५ स।
सब में रब है; सब से सच ही कहना।
तन में मन मंदिर है; रब तू रहना।।
जब जो घटता; तब वो सब है घटना-
सलिला सम जीवन में लहरा-बहना।।
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५. कुञ्ज
विधान - त ज र स र। यति - ८-७।
होता रस-रास नित्य ; मौन सखा देख ले।
देती नव शक्ति भक्ति ; भाव भरी लेख ले।।
राधा-बस श्याम श्याम; के बस राधा हुई-
साक्षी यह कुञ्ज-तीर आकर तू देख ले।।
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६. दीपक
विधान - भ त न त य। यति - १०-५।
हाय किसानों तुम पर है आपद आई।
शासन बातें सुन न रहा; शामत आई।।
साध्य न खेती श्रमिक नहीं; है अब प्यारा-
सेठ-परस्ती हर दल को, है अब भाई।।
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७. मालिनी / मञ्जुमालिनी
विधान - न न म य य। यति - ८-७।
कदम-कदम शूलों; से घिरे फूल प्यारे।
पग-पग पर घाटों; से घिरे कूल न्यारे।।
कलकल जलधारों; को करें लोग गंदा-
अमल सलिल होने; दो निर्मल हों धारे ।।
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८. उपमालिनी
विधान - न न त भ र। यति - ८-७।
कृषक-श्रमिक भूखे; रहें जिस राज में।
जनगण-मन आशा; तजे उस राज में।।
जन प्रतिनिधि भोगें; मजे जिस राज में-
नजमत अनदेखा; रहे उस राज में।।
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