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बुधवार, 8 दिसंबर 2021

शकुन शास्त्र, मृत्यु के संकेत

शकुन शास्त्र -  : जानिए मृत्यु के पहले के संकेत :
जब देव शक्तियां हमारे जीवन के साधारण कार्यों की सूचना देती हैं, तब यह कैसे संभव है कि वे जीवन के परिवर्तन की सूचना न दें. मृत्यु के परिवर्तन तो प्रत्येक व्यक्ति में प्रकट होते ही हैं.
यदि हम उन्हें समझ सकें तो मृत्यु का पूर्व अनुमान करना कठिन नहीं होता. मृत्यु-शकुनों में चारों प्रकार के शकुन होते हैं. पशु-पक्षियों द्वारा सूचना, मानसिक सूचना, स्वप्न तथा अंग लक्षण.
मृत्यु शकुनों के समान ही बहुत बड़े संकट या रोग की सूचना भी होती है. अनेक बार तो घोर कष्ट के शकुन और मृत्यु के शकुन में इतना सूक्ष्म अंतर रह जाता है कि दोनों का भेद जानना सरल नहीं होता. जैसे काक-रति देखना बहुत बड़ी बीमारी की सूचना तो है ही, स्थान, काल दिशादि के भेद से वह मृत्यु-शकुन भी हो सकता है.
इसी प्रकार मस्तक पर कौए, गिद्ध या चील का बैठ जाना बड़ी आपत्ति और मृत्यु दोनों का सूचक हो सकता है. अनेकों पुरुष ऐसे हुए हैं, जिन्होंने अपना मृत्युकाल पहले से बतला दिया और वह ठीक ही निकला. यह कोई आवश्यक नहीं है कि ऐसे मनुष्य योगी या बड़े संयमी ही रहे हों.
मृत्यु से पूर्व मन की एक विचित्र स्थिति हो जाती है और जो उसे समझने का प्रयत्न करते हैं, वे मृत्युकाल जान लेते हैं. स्वभावत: मनुष्य अपने मन की खिन्नता से पिण्ड छुड़ाने का अभ्यासी होता है, अत: वह मृत्यु के समय की खिन्नता को भी समझना नहीं चाहता.
मृत्यु से कुछ पूर्व नासिका का अग्रभाग, भौहें और ऊपर का ओष्ठ- ये अपने आपको दिखलाई नहीं पड़ते. धूलि में पड़े हुए पदचिह्न खंडित होते हैं. अपनी छाया में छिद्र जान पड़ते हैं. छाया-पुरुष का मस्तक कटा हुआ दिखता है. इस प्रकार के बहुत से लक्षण हैं. ऐसे ही जिसकी मृत्यु निकट आ जाती है, वह स्वप्न में अपने को तेल लगता, प्रेत से पकड़ा जाता, भैंसे या गधे पर बैठकर दक्षिण की यात्रा करता हुआ देखता है.
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