कार्य शाला :
दोहा प्रश्नोत्तर
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सरोज सिंह परिहार 'सूरज' नागौद
नीर भरे नैना रहें, लिये दरस की प्यास।
प्यासे नैना जल भरे, अजब विरोधाभास।।
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संजीव वर्मा 'सलिल'
स्नेह सलिल नैना लिए, करें दरस की प्यास।
नेह नर्मदा मिल बहे, नहीं विरोधाभास।।
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३.४.२०१९
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