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रविवार, 15 अप्रैल 2018

श्री श्री चिंतन : दोहा मंथन 1

उत्सव
एकाकी रह भीड़ का अनुभव है अग्यान।
छवि अनेक में एक की,  मत देखो मतिमान।।
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दिखा एकता भीड़ में, जागे बुद्धि-विवेक।
अनुभव दे एकांत का,  भीड़ अगर तुम नेक।।
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जीवन-ऊर्जा ग्यान दे, अमित आत्म-विश्वास।
ग्यान मृत्यु का निडरकर, देता आत्म-उजास।।
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शोर-भीड़ हो चतुर्दिक, या घेरे एकांत।
हर पल में उत्सव मना, सज्जन रहते शांत।।
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जीवन हो उत्सव सदा,  रहे मौन या शोर।
जन्म-मृत्यु उत्सव मना,  रहिए भाव-विभोर।।
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12.4.2018

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