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शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

geet: sanjiv

श्रृंगार गीत:
संजीव
.
चाहता मन
आपका होना
.
     शशि ग्रहण से
     घिर न जाए
     मेघ दल में
     छिप न जाए
     चाह अजरा
     बने तारा
     रूपसी की
     कीर्ति गाये
मिले मन में
एक तो कोना
.
     द्वार पर
     आ गया बौरा
     चीन्ह भी लो
      तनिक गौरा
     कूक कोयल
     गाए बन्ना
     सुना बन्नी
     आम बौरा
मार दो मंतर
करो टोना
.
     माँग इतनी
     माँग भर दूँ
     आप का
     वर-दान कर दूँ
     मिले कन्या-
     दान मुझको
     जिंदगी को
     गान कर दूँ
प्रणय का प्रण
तोड़ मत देना
.   

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