नवगीत:
संजीव
.
जब जग मुझ पर झूम हँसा
मैं दुनिया पर खूब हँसा
.
रंग न बदला, ढंग न बदला
अहं वहं का जंग न बदला
दिल उदार पर हाथ हमेशा
ज्यों का त्यों है तंग न बदला
दिल आबाद कर रही यादें
तूल विरह का खूब धँसा
.
मैंने उसको, उसने मुझको
ताँका-झाँका किसने-किसको
कौन कहेगा दिल का किस्सा?
पूछा तो दिल बोला खिसको
जब देखे दिलवर के तेवर
हिम्मत टूटी कहाँ फँसा?
***
संजीव
.
जब जग मुझ पर झूम हँसा
मैं दुनिया पर खूब हँसा
.
रंग न बदला, ढंग न बदला
अहं वहं का जंग न बदला
दिल उदार पर हाथ हमेशा
ज्यों का त्यों है तंग न बदला
दिल आबाद कर रही यादें
तूल विरह का खूब धँसा
.
मैंने उसको, उसने मुझको
ताँका-झाँका किसने-किसको
कौन कहेगा दिल का किस्सा?
पूछा तो दिल बोला खिसको
जब देखे दिलवर के तेवर
हिम्मत टूटी कहाँ फँसा?
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