कुल पेज दृश्य

बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

गीतिका आदमी ही भला मेरा गर करेंगे

गीतिका
आदमी ही भला मेरा गर करेंगे.

बदी करने से तारे भी डरेंगे.


बिना मतलब मदद कर दे किसी की

दुआ के फूल तुझ पर तब झरेंगे.


कलम थामे, न जो कहते हकीकत

समय से पहले ही बेबस मरेंगे।


नरमदा नेह की जो नहाते हैं

बिना तारे किसी के खुद तरेंगे।


न रुकते जो 'सलिल' सम सतत बहते

सुनिश्चित मानिये वे जय वरेंगे।


*********************************

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया दोहे!

निर्मला कपिला ने कहा…

जो निज मन को जीत ले, उसे नमन कर मौन.

निज मन से यह पूछिए, छिपा आपमें कौन?.


एक नहीं दो-दो मात्राएँ, नर से ज्यादा भारी.

आज नहीं चिर काल से, रहती आयी नारी..


मैन आप वूमैन वह, किसमें ज्यादा भार?

सत्य जान करिए नमन, करिए पायें प्यार.

दिल चाहता है सभी को कोट कर दूं.

हमेशा की तरह लाजवाब्