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शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस

विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के

सोलहवें कार्यारंभ दिवस के उपलक्ष्य में विश्वभर के हिंदी अनुरागियों की ओर से प्राप्त संदेश-

यूट्यूब पर देखने के लिए इस लिंक पर जाएँ - https://youtube.com/watch?v=_6W6ycT9jEw&feature=shared

फ़ेसबुक पर देखने के लिए इस लिंक पर जाएँ - https://www.facebook.com/share/p/HP83JXH5aa3XGBQe/?mibextid=K35XfP
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सरस्वती वंदना
मतिमान माँ ममतामयी!
द्युतिमान माँ करुणामयी

विधि-विष्णु-हर पर की कृपा
हर जीव ने तुमको जपा
जिह्वा विराजो तारिणी!
अजपा पुनीता फलप्रदा
बन बुद्धि-बल, बल बन बसीं
सब में सदा समतामयी
मतिमान माँ ममतामयी!
द्युतिमान माँ करुणामयी

महनीय माँ, कमनीय माँ
रमणीय माँ, नमनीय माँ
कलकल निनादित कलरवी
सत सुर बसीं श्रवणीय माँ
मननीय माँ कैसे कहूँ
यश अपरिमित रचनामयी
मतिमान माँ ममतामयी!
द्युतिमान माँ करुणामयी

अक्षर तुम्हीं ध्वनि नाद हो
निस्तब्ध शब्द-प्रकाश हो
तुम पीर, तुम संवेदना
तुम प्रीत, हर्ष-हुलास हो
कर जीव हर संजीव दो
रस-तारिका क्षमतामयी
मतिमान माँ ममतामयी!
द्युतिमान माँ करुणामयी
*
गीत  अंतर्राष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच 
विश्ववाणी है अनूठा विश्व हिंदी सचिवालय नव  
*
विश्ववाणी ज्ञानभाषा अमर हो हिंदी जगत में
जगमगाए सूर्य बनकर विश्व भाषा के नखत में
*
(है अनूठा विश्व हिंदी सचिवालय नव तीर्थ है यह)
अंतर्राष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच हिंदी  तीर्थ है यह
नव रसों से युक्त भाषा, छंद अनगिन देव विग्रह
चलो हिंदी ले चलें मिल जहाँ अनुपस्थित विगत में 
विश्ववाणी ज्ञानभाषा अमर हो हिंदी जगत में
*
शब्द तद्भव सहित तत्सम प्रचुर देशज अरु विदेशज 
कर रही उपयोग हिंदी विश्व के मांगल्य को भज    
गद्य में है पद्य में है बसी हिंदी जग-हृदय में 
विश्ववाणी ज्ञानभाषा अमर हो हिंदी जगत में
*
करे अमिधा, लक्षणा सह व्यंजना हिंदी समाहित 
सुरुचिमय शत अलंकारों से 'सलिल' हिंदी सुसज्जित
मॉरीशस जग-तीर्थ हिंदी केंद्र सचिवालय प्रगत में 
विश्ववाणी ज्ञानभाषा अमर हो हिंदी जगत में
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हिंदी वंदना 
हिंद और हिंदी की जय-जयकार करें हम 
भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम 
*
भाषा सहोदरी होती है, हर प्राणी की 
अक्षर-शब्द बसी छवि, शारद कल्याणी की 
नाद-ताल, रस-छंद, व्याकरण शुद्ध सरलतम 
जो बोले वह लिखें-पढ़ें, विधि जगवाणी की 
संस्कृत सुरवाणी अपना, गलहार करें हम 
हिंद और हिंदी की, जय-जयकार करें हम 
भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम 
*
असमी, उड़िया, कश्मीरी, डोगरी, कोंकणी,
कन्नड़, तमिल, तेलुगु, गुजराती, नेपाली,
मलयालम, मणिपुरी, मैथिली, बोडो, उर्दू 
पंजाबी, बांगला, मराठी सह संथाली 
सिंधी सीखें बोल, लिखें व्यवहार करें हम 
हिंद और हिंदी की, जय-जयकार करें हम 
भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम 

ब्राम्ही, प्राकृत, पाली, बृज, अपभ्रंश, बघेली,
अवधी, कैथी, गढ़वाली, गोंडी, बुन्देली, 
राजस्थानी, हल्बी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, 
भोजपुरी, मारिया, कोरकू, मुड़िया, नहली,
परजा, गड़वा, कोलमी से सत्कार करें हम 
हिंद और हिंदी की, जय-जयकार करें हम 
भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम 

शेखावाटी, डिंगल, हाड़ौती, मेवाड़ी 
कन्नौजी, मागधी, खोंड, सादरी, निमाड़ी, 
सरायकी, डिंगल, खासी, अंगिका, बज्जिका, 
जटकी, हरयाणवी, बैंसवाड़ी, मारवाड़ी,
मीज़ो, मुंडारी, गारो मनुहार करें हम 
हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम 
भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम 
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देवनागरी लिपि, स्वर-व्यंजन, अलंकार पढ़ 
शब्द-शक्तियाँ, तत्सम-तद्भव, संधि, बिंब गढ़ 
गीत, कहानी, लेख, समीक्षा, नाटक रचकर 
समय, समाज, मूल्य मानव के नए सकें मढ़ 
'सलिल' विश्व, मानव, प्रकृति-उद्धार करें हम 
हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम 
भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम 
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- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'  
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन,
जबलपुर ४८२००१ 
चलभाष ९४२५१८३२४४, ई मेल salil.sanjiv@gmail.com   

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