[13/7, 09:44] आचार्य संजीव वर्मा "सलिल": सॉनेट
गुरु
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गुरु गुर सिखलाता है उत्तम
दिखलाता है राह हमेशा
हरता है अज्ञानजनित तम
दिलवाता है वाह हमेशा
लेता है गुरु कड़ी परीक्षा
ठोंक-पीटकर खोट निकाले
देता केवल तब ही दीक्षा
दीप-ज्योति अंतर में बाले
कहे दीप अपना खुद होओ
गिरकर रुको न, उठ फिर भागो
तम पी, उजियारा बो जाओ
खुद समर्थ हो भीख न माँगो
गुरु-वंदन कर शिष्य तर सके
अपनी मंजिल आप वर सके
१३-७-२०२२
रुद्राक्ष, गुलमोहर, भोपाल
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[13/7, 09:44] आचार्य संजीव वर्मा "सलिल": सॉनेट
गुरु
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गुरु को नतशिर नमन करो रे!
गुरु की महिमा कही न जाए
गुरु ही नैया पार लगाए
गुरु पग रज पा अमन वरो रे!
गुरु वचनामृत पान करो रे!
गुरु शब्दों में सत्य समाहित
गुरु वाणी में अर्थ विराजित
गुरु का महिमा-गान करो रे!
गुरु का मन में मान करो रे!
गुरु-दर्पण में निज छवि देखो
गुरु-परखे तो निज सच लेखो
गुर-वचनों का ध्यान धरो रे!
गुरु को सत्-शिव सुंदर मानो
गुरु का खुद को चाकर मानो
१३-७-२०२२
रुद्राक्ष, गुलमोहर, भोपाल
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