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शनिवार, 26 मार्च 2022

यीट्स,

Poems : William Butler Yeats

काव्यानुवाद : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

१. पतझर

हमें रहे प्रिय लंबे पत्तों पर है पतझर, २४
जौ की ढेरी में जा छिपे हुए चूहों पर;
पीले पत्ते रोवन तरु के; सर के ऊपर,
पीले-गीले पर्ण जंगली रसबेरी के।

प्रणय भंग की बेला में हैं खिन्न मना हम,
ओढ़े हुए उदासी अपनी आत्माएँ अब;
सहभागी हों, भुला न दे उमंग का मौसम,
अश्रु भरी नत तेरी भौंहों का चुम्बन कर।
२५-३-२०२२
*
 1. The Falling of the Leaves

Autumn is over the long leaves that love us,
And over the mice in the barley sheaves;
Yellow the leaves of the rowan above us,
And yellow the wet wild-strawberry leaves.

The hour of the waning of love has beset us,
And weary and worn are our sad souls now;
Let us part, ere the season of passion forget us,
With a kiss and a tear on thy drooping brow.
***

२. लोरी

झुकी हुई हैं परियाँ २२
तेरी शैया पर;
क्लांत भटकने से हैं 
वे मुरदों जैसी।

देव स्वर्ग में हँसें
देख इतना अच्छा।
तारक सत ऋषि संग हैं 
उसके आनंदित।

तुम्हें चूम कर आह भरूँ,
मैं अपने आप
सोच खलेगी कमी
बड़े होंगे जब तुम।
२५-३-२०२२
*
2. A Cradle Song

THE angels are stooping
Above your bed;
They weary of trooping
With the whimpering dead.

God's laughing in Heaven
To see you so good;
The Sailing Seven
Are gay with His mood.

I sigh that kiss you,
For I must own
That I shall miss you
When you have grown.
***

३. लबादा, नाव और जूते

'बनाते क्या कहो सुंदर और आभामय?'

'मैं बनाता लबादा दुःख का :
भला लगे देखना नज़रों में 
बसा हुआ है लबादा दुःख का, 
सब मनुष्यों की नज़र में'। 

'बनाते किससे हो पाल भर सको उड़ान?'

'मैं बनाता नाव दुःख के लिए:
सिंधु पर गतिमान निशि-दिन  
पार करे यायावर दुःख को 
पूरे दिन अरु रात।'

'बुन रहे क्या इस कपासी ऊन से?'

'मैं बुनता हूँ पादुका दुःख की:
ध्वनि बिना हल्की रहे पदचाप 
मनुष्यों के दुखित कानों में' 
अचानक अरु बहुत हल्की।'
२६-३-२०२२ 
***
3. The Cloak, The Boat And The Shoes

'What do you make so fair and bright?'

'I make the cloak of Sorrow:
O lovely to see in all men's sight
Shall be the cloak of Sorrow,
In all men's sight.'

'What do you build with sails for flight?'

'I build a boat for Sorrow:
O swift on the seas all day and night
Saileth the rover Sorrow,
All day and night.'

What do you weave with wool so white?'

'I weave the shoes of Sorrow:
Soundless shall be the footfall light
In all men's ears of Sorrow,
Sudden and light.'
***
४. सलिल-द्वीप में 

छुईमुई वह, छुईमुई वह,
छुईमुई मनबसिया मेरी,
आती है वह धुंधलके में 
अलग-थलग हो लुकती-छिपती।

वह रकाबियों में लाती है 
और सीध में रख जाती है 
एक द्वीप में सलिल बीच मैं 
उसके साथ बसूँ जाकर।  

वह आती ले मोमबत्तियाँ 
दमकाती कमरा परदामय 
शरमाती है बीच डगर में 
हो उदास शरमाती है;  

छुईमुई खरगोश सरीखी, 
नेक और शर्मीली है.
एक द्वीप में सलिल बीच, उड़  
उसके साथ बसूँ जाकर।
२६-३-२०२२ 
***

4. To an Isle in the Water

Shy one, shy one,
Shy one of my heart,
She moves in the firelight
Pensively apart.

She carries in the dishes,
And lays them in a row.
To an isle in the water
With her would I go.

She carries in the candles,
And lights the curtained room,
Shy in the doorway
And shy in the gloom;

And shy as a rabbit,
Helpful and shy.
To an isle in the water
With her would I fly.
२६-३-२०२२
 *
 
५. मछली 

यद्यपि तुम छिप जाती हो भाटे-बहाव में 
पीत ज्वार में, ढल जाता जब आप चंद्रमा,  
आनेवाले कल के सभी लोग जानेंगे 
मेरे जाल से भाग निकलने के बारे में, 
समझ न पाएँगे कैसे तुम लाँघ सकीं थीं 
नन्हीं रजत डोरियों पर से,
वे सोचेंगे तुम कठोर थीं; निर्दय भी थीं 
देंगे तुम्हें दोष, वे कड़वे शब्द कहेंगे।
२६-३-२०२२  
*
5. The Fish

Although you hide in the ebb and flow
Of the pale tide when the moon has set,
The people of coming days will know
About the casting out of my net,
And how you have leaped times out of mind
Over the little silver cords,
And think that you were hard and unkind,
And blame you with many bitter words.
२६-३-२०२२
***



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