कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 12 मई 2020

अभियान लोक पर्व १२-५-२०१०

अभियान लोक पर्व १२-५-२०१०  . 
अध्यक्ष -  सुरेश तन्मय जी , मुख्य अतिथि - मीना भट्ट  जी 
संचालन : छाया सक्सेना जी, सरस्वती वंदना - राजेश तिवारी, मैहर  
तन्मय तन्मय जी हुए, मीनाकारी देख
छाया खींचे सूर्य के, उजियारे की रेख

प्रभु को भू पर देखकर, कोरोना हैरान 
काये को रोना भगूं, निकर न जाए जान

वे हिंदी के फूल हैं, हम हिंदी के फूल
शिखर ताज के हैं सनम, हम सड़कों की धूल 

राजलक्ष्मी पुनीता विज्ञ, सुस्वागत आज 
राना इंद्र विनोद कर, साध रहे शुभ काज   

राजेश तिवारी, मैहर ने सरस्वती वंदना की 'जय जय माता शारदे जय गणपति महाराज / कवि कुल की रक्षा करो, सदा निभाओ साथ'। अध्यक्ष श्री सुरेश तन्मय, मुख्य अतिथि मीना भट्ट तथा संयोजक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' के  पुष्प स्वागत पश्चात् विजय बागरी ने 'काहे राम करैया' प्रस्तुत की। जयप्रकाश जी ने मांर्मिक बिदा गीत 'काहे कर दओ मोहे नैनों से दूर बाबुल तुमरे बिरछ की छाँव भली' प्रस्तुत कर सबकी आँखें गीले कर दीं। अर्चना गोस्वामी ने सुमधुर सोहर गीत ''मांगें ननद रानी कँगना, लालन के भये में'' प्रस्तुत कर करतल ध्वनि पाई। 

कोकिलकंठी कंठ की है जयकार पुनीत 
गायें सस्वर अर्चना, सुमधुर सोहर गीत

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी की स्मृतिशेष मातु शांति देवी वर्मा जी रचित दो लोक गीत धन धन भाग हमारे राम द्वारे आए तथा जनक अँगना में होती ज्योनार पटल पर विशेष रूप से प्रस्तुत किये गए। 

मीना भट्ट जी ने मनोरंजक लोकगीत 'छेड़ रहे मोहे भाभी के भैया' सुनाया। इंजी. उदयभान तिवारी 'मधुकर' ने लोकरंग आधारित 'बृज की गली-गली में शोर, नाचें राधा-नंद किशोर' प्रस्तुत कर फ़िज़ा में रस घोल दिया। पलामू झारखंड के श्रेष्ठ ज्येष्ठ कवि श्रीधर द्विवेदी ने बरवै छंद में बारहमासा सुनकर वाहवाही पाई। 

मधुकर की गुंजार सुन, हँसते नंद किशोर
श्रीधर आये दौड़ ले, बारहमासी भोर।

'दुनिया उलटी सीधी चालै जी कौ अर्थ समझ नई आवै' सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करता राजस्थानी लोकगीत सपरी लोकधुन में प्रस्तुत कर सराहना पाई भीलवाड़ा की प्राचार्य कवयित्री पुनीता भारदवाज ने। 

लोक की नवछटा, सुना पुनीता झूम
कितनी ताली ले गयीं, कहें किसे मालूम?   

सिरोही से श्री छगनलाल गर्ग 'विज्ञ' ने लोक कथा और लोक नाट्य के वेगड़ (बेघर) होने पर चिंता व्यक्त की। 

लोक कथा में लोक ने, कही हमेशा बात
लोक नाट्य ने प्रात ला, खत्म किया तम-रात

पलामू झारखण्ड से प्रो. आलोक रंजन ने विद्वतापूर्ण वक्तव्य में झारखंडी सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता से उद्गमित बताया। सागवाड़ा राजस्थान के विनोद जैन 'वाग्वर' ने सरस् गीत 'रिमझिम रिमझिम मेहा बरसे' प्रस्तुत किया। 

मनुज सभ्यता-संस्कृति, तम हर दे आलोक 
मन विनोद साहित्य कर, हरता मन का शोक 

डॉ. मुकुल तिवारी ने जनकथा के माध्यम से कच्चे आम की गुठली (गुही) का उपयोग कर घमोरियों की चिकित्सा करने की जानकारी दी। गुही का उपयोग कर मुंह से बजाने वाला वाद्य भी बनाया जाता है। उमा मिश्रा 'प्रीति' ने लोक आस्था के केंद्र, उस्ताद अलाउदीन खान, पंडित रविशंकर आदि की साधनास्थली  शारदा माता मंदिर मैहर की स्थापना संबंधी लोक कथा प्रस्तुत की।  अभियान के अध्यक्ष श्री बसंत शर्मा ने विवाह गीत परम्परा पर प्रकाश डाला। श्रीमती मंजरी शर्मा ने एक गारी गीत प्रस्तुत किया। 

लगी आम में मंजरी, महका झूम बसंत 
गारी के मिस हो रहा, है आनंद अनंत 

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने लोक साहित्य, लोक गीत का लोक में व्याप्त होना अपरिहार्य बताया। उनहोंने लोक साहित्य की तर्ज पर रचे जा रहे लोक भाषिक नव साहित्य को लोक तक पहुँचाना आवश्यक बताया। आचार्य सलिल ने बुंदेली लोककवि ईसुरी की फाग पर आधारित नवगीत, पारंपरिक फाग तथा बुंदेली लोकगीत की लय पर रचित कोरोना गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं से सराहना पाई।  संचालिका छाया सक्सेना ने बुंदेली पारंपरिक सुहाग गीत 'सखियों को देना सुहाग, सुहाग महारानी / जैसा सुहाग रिद्धि-सिद्धि को दीना, बरपाये गणनाथ '  प्रस्तुत कर कार्यक्रम को शिखर पर पहुंचा दिया। अध्यक्ष सुरेश 'तन्मय' जी ने प्रेरक संबोधन देते हुए निमाड़ी लोकगीत सुनाया।  डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे, भारती नरेश सराफ आदि ने भी अपनी प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया। आभार प्रदर्शन प्रो. आलोक रंजन ने किया। लोक साहित्य पर केंद्रित यह लोक पर्व अपनी मिसाल आप है। विश्ववाणी हिंदी संसथान जबलपुर ने लगातार ९ वे दिन अंतरजाल पर वाट्स ऐप समूह में लोकोपयोगी कार्यक्रम प्रस्तुत किया इसके पूर्व छंद पर्व, लघुकथा पर्व, गीत पर्व, गद्य पर्व, हिंदी ग़ज़ल पर्व, कोरोना ; अभिशाप में वरदान, कला पर्व तथा बाल पर्व प्रस्तुत किये जा चुके हैं। आगामी पुस्तक पर्व के अंतर्गत सदस्यों से उनकी मनपसंद पुस्तक की वाचिक समीक्षा आमंत्रित है। अभियान देश की एक मात्र संस्था है जो कला-साहित्य के हर आयाम में कार्य कर समाज  में सकारात्मक ऊर्जा के प्रसार हेतु संकल्पित-समर्पित-सक्रिय है। 
***    

कोई टिप्पणी नहीं: