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शुक्रवार, 22 मई 2020

मुक्तिका वह एक है

मुक्तिका 
वह एक है

वह एक है, हम एक हों रस-छंद की तरह
करिए विमर्श नित्य परमानंद की तरह
जात क्या? औकात क्या? सच गुप्त चित्त में
आत्म में परमात्म ब्रह्मानंद की़ तरह
व्योम में राकेश औ' दिनेश साथ-साथ
बिखेरते उजास काव्यानंद की तरह
काया नहीं कायस्थ है निज आत्म तत्व ही
वह एक है, हम एक हैं आनंद की तरह
जो मातृशक्ति है उसे भी पूजिए हुजूर
बिन शक्ति शक्तिवान निरानंद की तरह
*

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