त्रिपदियाँ
*
सलीबें भी जब करें,
मन रंजना तब जानिए
विपक्षी हैं सामने
*
सलीबें थर्रा रहीं हैं
देख सत को सामने
काश हम होते नहीं
*
सलीबें बन रही हैं
आजकल इतिहास
कैसा समय है?
*
सलीबों की वंदना
कर कहें मन रंजना
वाह रे! इंसान
*
सलीबों को चूमकर
अदीबों ने कह दिया
है यही जम्हूरियत
*
सलीबें कब
देवताओं को मिलीं
सौ खून उनके माफ हैं।
*
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सलीबें भी जब करें,
मन रंजना तब जानिए
विपक्षी हैं सामने
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सलीबें थर्रा रहीं हैं
देख सत को सामने
काश हम होते नहीं
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सलीबें बन रही हैं
आजकल इतिहास
कैसा समय है?
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सलीबों की वंदना
कर कहें मन रंजना
वाह रे! इंसान
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सलीबों को चूमकर
अदीबों ने कह दिया
है यही जम्हूरियत
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सलीबें कब
देवताओं को मिलीं
सौ खून उनके माफ हैं।
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