कुल पेज दृश्य

सोमवार, 5 अगस्त 2019

मुक्तिका

मुक्तिका
बिन सपनों को सोना क्या
बिन आँसू के रोना क्या
*
वह मुस्काई, मुझे लगा 
करती जादू-टोना क्या
*
नहीं वफा जिसमें उसकी
खातिर नयन भिगोना क्या
*
दाने चार न चाँवल के
मूषक तके भगोना क्या
*
सेठ जमीनें हड़प रहे
जानें फसलें बोना क्या
*

कोई टिप्पणी नहीं: