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मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

षट्पदी / मुक्तक

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षट्पदी
श्वास-आस में ग्रह-उपग्रह सा पल-पल पलता नाता हो.
समय, समय से पूर्व, समय पर सच कहकर चेताता हो.
कर्म भाग्य का भाग्य बताये, भाग्य कर्म के साथ रहे-
संगीता के संग आज, कल-कल की बात बताता हो.
जन्मदिवस पर केक न काटें, कभी बुझायें ज्योति नहीं
दीप जला दीवाली कर लें, तिमिर भाग छिप जाता हो.
मुक्तक
कृष्ण कांत हैं सारे जग के, कण-कण यहाँ सुदामा है
परमात्मा है सबका स्वामी, हर एक आत्मा वामा है
सच से मिलना जन्म हर सुबह, आँख बंद तो मौत हुई-
कल्प-कल्प तक आना-जाना कहो दिवस या यामा है
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