कुल पेज दृश्य

रविवार, 24 दिसंबर 2017

षष्ठी पूर्ति शुभ कामना

कह रहा है आज सूरज
.
सुजाता आई जगाने
अग्र होजा.
साठ को ले मान सोलह
व्यग्र होजा.
श्वास हर कर ले प्रदीपित
तरुण होकर-
मधु कलश ले साथ सौरभ
आस बोकर.
शिखा वैभव की बहाए
स्नेह सलिला
नर्मदा में नहाकर,
सुख गले मिल जा.

कोई टिप्पणी नहीं: