मुक्तक:
हर रजनी हो शरद पूर्णिमा, चंदा दे उजियाला
मिले सफलता-सुयश असीमित, जीवन बने शिवाला
देश-धर्म-मानव के आयें काम सार्थक साँसें-
चित्र गुप्त उज्जवल अंतर्मन का हो दिव्य निराला
हर रजनी हो शरद पूर्णिमा, चंदा दे उजियाला
मिले सफलता-सुयश असीमित, जीवन बने शिवाला
देश-धर्म-मानव के आयें काम सार्थक साँसें-
चित्र गुप्त उज्जवल अंतर्मन का हो दिव्य निराला
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