लघुकथा
तू मुझे नहीं समझेगी तो और कौन समझेगा?
अच्छा है, इनको पढ़कर परिवारजनों और मित्रों की मानसिकता ऐसे रिश्ते को स्वीकारने की बन जाए उसके बाद बताना कि तुम भी ऐसा करने जा रही हो। सफल हो तुम्हारा शर-संधान।
शर संधान
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आजकल स्त्री विमर्श पर खूब लिख रही हो। 'लिव इन' की जमकर वकालत कर रहे हैं तुम्हारी रचनाओं के पात्र। मैं समझ सकती हूँ। तू मुझे नहीं समझेगी तो और कौन समझेगा?
अच्छा है, इनको पढ़कर परिवारजनों और मित्रों की मानसिकता ऐसे रिश्ते को स्वीकारने की बन जाए उसके बाद बताना कि तुम भी ऐसा करने जा रही हो। सफल हो तुम्हारा शर-संधान।
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