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मंगलवार, 2 अगस्त 2016

स्मृति गीत

भाई ओंकार श्रीवास्तव के प्रति
स्मरण गीत
*
वह निश्छल मुस्कान
कहाँ हम पायेंगे?
*
मन निर्मल होता तुममें ही देखा था
हानि-लाभ का किया न तुमने लेखा था
जो शुभ अच्छा दिखा उसी का वन्दन कर
संघर्षित का तिलक किया शुचि चन्दन कर
कब ओंकारित स्वर
हम फिर सुन पायेंगे?
*
श्री वास्तव में तुमने ही तो पाई है
ज्योति शक्ति की जन-मन में सुलगाई है
चित्र गुप्त प्रतिभा का देखा जिस तन में
मिले लक्ष्य ऐसी ही राह सुझाई है
शब्द-नाद जयकार
तुम्हारी गायेंगे
*
रेवा के सुत,रेवा-गोदी में सोए
नेह नर्मदा नहा, नए नाते बोए
मित्र संघ, अभियान, वर्तिका, गुंजन के
हित चिंतक! हम याद तुम्हारी में खोए
तुम सा बंधु-सुमित्र न खोजे पायेंगे 
***

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