नवगीत:
बेला महका
संजीव
*
जाने किस बेला में
बेला बहका था?
ला, बे ला झट तोड़
मोह कह चहका था.
*
कमसिन कलियों की कुड़माई सुइयों से
मैका छूटा, मिलीं सासरे गुइयों से
खिल-खिल करतीं, लिपट-लिपट बन-सज वेणी
बेला दे संरक्षण स्नेहिल भइयों से
बेलावल का मन
महुआ सा महका था
जाने किस बेला में
बेला बहका था?
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जाने किस बेला से बेला टकरायी
कौन बता पाये ऊँचाई-गहराई
आब मोतिया जुही, चमेली, चंपा सी
सुलभा संग सितांग करे हँस पहुनाई
बेलन सँग बेलनी कि
मौसम दहका था.
जाने किस बेला में
बेला बहका था?
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बेल न बेली, बेलन रखकर चल बाहर
दूर बहुत हैं घर से सच बाबुल नाहर
चंद्र-चंद्रिका सम सिंगार करें हम-तुम
अलबेली ढाई आखर की है चादर
अरुणिम गालों पर
पलाश ही लहका था.
जाने किस बेला में
बेला बहका था?
*
टीप: बेला = मोगरा, मोतिया, सितांग, सुलभा, / = समय, अंतराल, / = बेलना क्रिया,/ = तट, तीर, किनारा, / = तरंग, लहर, / = कांसे का कटोरा जैसा बर्तन, बेलावल = प्रिय, पति,
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