कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 8 मई 2015

doha salila: sanjiv

दोहा सलिला:
संजीव, जेठ, महुआ, गर्मी, नीम, 
*
जेठ जेठ में हो रहे, गर्मी से बदहाल
जेठी की हेठी हुई, थक हो रहीं निढाल
*
चढ़ा करेला नीम पर, लू पर धूप सवार
जान निकले ले रही, उमस हुई हथियार
*
चुआ पसीना तर-बतर, हलाकान हैं लोग
सीना पोंछें भूलकर, सीना- करते सोग
*
नीम-डाल में डाल दे, झूला ठंडी छाँव
पकी निम्बोली चूस कर, झूल न जाना गाँव
*
मदिर गंध मन मोहती, महुआ चुआ बटोर
ओली में भर स्वाद लून, पवन न करना शोर
*   

कोई टिप्पणी नहीं: