घनाक्षरी:
कल्पना मिश्रा बाजपेई सरस्वती
.
धवल वस्त्र धारणी सुभाषिनी माँ शारदे ८-८
वीणा-पाणि वीणा कर धारती हैं प्रेम से ८-७
मुख पे सुहास माँ का देखते ही बन रहा ८-८
जग सारा विस्मित है प्यारी छवि देख के ८-७
अहम का नाश करो बुद्धि में प्रकाश भरो ८-८
मेरा मन साधना में नेह से लगाइए ८-७
"कल्पना" के भावों को भाववान कीजिये ७-७
खुशियों से भर जाए मन मेरा देख के॥ ८-७
कल्पना मिश्रा बाजपेई सरस्वती
.
धवल वस्त्र धारणी सुभाषिनी माँ शारदे ८-८
वीणा-पाणि वीणा कर धारती हैं प्रेम से ८-७
मुख पे सुहास माँ का देखते ही बन रहा ८-८
जग सारा विस्मित है प्यारी छवि देख के ८-७
अहम का नाश करो बुद्धि में प्रकाश भरो ८-८
मेरा मन साधना में नेह से लगाइए ८-७
"कल्पना" के भावों को भाववान कीजिये ७-७
खुशियों से भर जाए मन मेरा देख के॥ ८-७
1 टिप्पणी:
bahut barhiya
एक टिप्पणी भेजें