द्विपदी सलिला :
संजीव
*
औरों की निगाहों से करूँ, खुद का आकलन
ऐसा न दिन दिखाना कभी, ईश्वर मुझे.
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'डूब नजरों में न जाएँ' ये सोच दूर रही
वरना नज़रों के नजारों पे नजर शैदा थी
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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