विरासत :
गीत -
सौ सौ नमन करूँ...
सोम ठाकुर
*
सागर पखारे गंगा शीश चढ़ाए नीर,
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
उत्तर मन मोहे, दक्षिण में रामेश्वर,
पूरब पूरी बिराजे, पच्छिम धाम द्वारका सुन्दर।
जो न्हावै मथुरा जी-कासी छूटै लख चौरासी-
कान्हा रास रचै में जमुना के तीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
फूटें रंग भोर के वन में, खोलें गंध किवरियाँ,
हरी झील में दिप-दिप तैरें मछली सी किन्नरियाँ।
लहर-लहर में झेलम झूलै, गाये मीठी लोरी-
परबत के पीछे सोहे नित चंदा सो कश्मीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
चैत चाँदनी हँसे पूस में, पछुवा तन-मन परसै,
जेठ तपै झरती गिरिजा सी, सावन अमृत बरसै।
फागुन फर-फर भावै ऐंसी के सैयां पिचकारी-
आँगन भीजै, तन-मन भीजै औ' पचरंगी चीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
फूटें-फरें मटर की घुटियाँ, धरने झरें झरबेरी,
मिले कलेऊ में बाजरा की रोटी, मठा-महेरी।
बेटा मांगे गुड की डेली, बिटिया चना-चबेना-
भाभी मांगें खट्टी अमिया, भैया रस की खीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
रजा बिकें टका में भैया ऐसो देस हमारो,
सबकें पालनहारो सुत पै खुद चलवावै आरो।
लछमन जागें सारी रैना, सिया तपाएं रसोई-
वल्कल तन पर बाँधे सोहें जटा-जूट रघुवीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
मंगल भवन अमंगलहारी के जस तुलसी गावैं,
सूरदास काउ स्याम रंगो मन अनत कहै सुख पावै।
हँस कें पिए गरल को प्यालो प्रेम-दीवानी मीरां-
ज्यों की त्यों धर दई चदरिया, कह गै दास कबीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
नित रसखान पठान गाये ब्रिज की लीला लासानी,
रौशन सिंह के संग देंय अशफाकुल्ला क़ुर्बानी।
चार हांथ धरती पुतर है शाह ज़फर की काया-
गाये कन्हैया को बालापन जनकवि मियाँ नजीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
लाली अभी न छूटी भैया, अभी न मेद न भूले,
बियर लाडले सीना ताने फांसी ऊपर झूले।
गोलाबर सी नंगी पीठें बंधी तोप के आगे-
आन्गारण में कौंधी सन सत्तावन की शमशीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
ऐसो कछू करौ मिल-जुल कें, ऐसो कछू बिचारो,
फहर-फहर फहराय तिरंगो पहियों चक्करबारो।
कहूं न अचरा अटके याको कहूं न पिचै अंगुरिया
दूर करो या धरती मैया के माथे की पीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
गीत -
सौ सौ नमन करूँ...
सोम ठाकुर
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सागर पखारे गंगा शीश चढ़ाए नीर,
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
उत्तर मन मोहे, दक्षिण में रामेश्वर,
पूरब पूरी बिराजे, पच्छिम धाम द्वारका सुन्दर।
जो न्हावै मथुरा जी-कासी छूटै लख चौरासी-
कान्हा रास रचै में जमुना के तीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
*
फूटें रंग भोर के वन में, खोलें गंध किवरियाँ,
हरी झील में दिप-दिप तैरें मछली सी किन्नरियाँ।
लहर-लहर में झेलम झूलै, गाये मीठी लोरी-
परबत के पीछे सोहे नित चंदा सो कश्मीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
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चैत चाँदनी हँसे पूस में, पछुवा तन-मन परसै,
जेठ तपै झरती गिरिजा सी, सावन अमृत बरसै।
फागुन फर-फर भावै ऐंसी के सैयां पिचकारी-
आँगन भीजै, तन-मन भीजै औ' पचरंगी चीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
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फूटें-फरें मटर की घुटियाँ, धरने झरें झरबेरी,
मिले कलेऊ में बाजरा की रोटी, मठा-महेरी।
बेटा मांगे गुड की डेली, बिटिया चना-चबेना-
भाभी मांगें खट्टी अमिया, भैया रस की खीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
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रजा बिकें टका में भैया ऐसो देस हमारो,
सबकें पालनहारो सुत पै खुद चलवावै आरो।
लछमन जागें सारी रैना, सिया तपाएं रसोई-
वल्कल तन पर बाँधे सोहें जटा-जूट रघुवीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
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मंगल भवन अमंगलहारी के जस तुलसी गावैं,
सूरदास काउ स्याम रंगो मन अनत कहै सुख पावै।
हँस कें पिए गरल को प्यालो प्रेम-दीवानी मीरां-
ज्यों की त्यों धर दई चदरिया, कह गै दास कबीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
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नित रसखान पठान गाये ब्रिज की लीला लासानी,
रौशन सिंह के संग देंय अशफाकुल्ला क़ुर्बानी।
चार हांथ धरती पुतर है शाह ज़फर की काया-
गाये कन्हैया को बालापन जनकवि मियाँ नजीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
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लाली अभी न छूटी भैया, अभी न मेद न भूले,
बियर लाडले सीना ताने फांसी ऊपर झूले।
गोलाबर सी नंगी पीठें बंधी तोप के आगे-
आन्गारण में कौंधी सन सत्तावन की शमशीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
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ऐसो कछू करौ मिल-जुल कें, ऐसो कछू बिचारो,
फहर-फहर फहराय तिरंगो पहियों चक्करबारो।
कहूं न अचरा अटके याको कहूं न पिचै अंगुरिया
दूर करो या धरती मैया के माथे की पीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
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3 टिप्पणियां:
deepti gupta via yahoogroups.com
आदरणीय संजीव जी,
विरासत में आपने आज बहुत प्यारा गीत बाँटा है हम सबके साथ! पूरा गीत अनेक बार पढ़ा! एक से बढ़कर एक बिम्ब आँखों के सामने तैरते गए ...........
रजा बिकें टका में भैया ऐसो देस हमारो,
सबकें पालनहारो सुत पै खुद चलवावै आरो।
लछमन जागें सारी रैना, सिया तपाएं रसोई-
वल्कल तन पर बाँधे सोहें जटा-जूट रघुवीर
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
सौ-सौ नमन करूँ मैं भैया सौ-सौ नमन करूँ...
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ढेर सराहना के साथ,
manju bhatnagar @ yahoogroups.com
आद. संजीव जी,
सोम ठाकुर की इस सुंदर और महान रचना को साझा करने के लिए आपका शत-शत धन्यवाद.
सादर-
मंजु
manju bhatnagar @ yahoogroups.com
आद. संजीव जी,
सोम ठाकुर की इस सुंदर और महान रचना को साझा करने के लिए आपका शत-शत धन्यवाद.
सादर-
मंजु
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