उत्तराखंड संकट : बोलते चित्र : ऊंघता शासन-प्रशासन, पंडित तथा आम लोग
विवश, बेक़सूर प्रकृति शोषित और लांछित क्यों?
सैन्य बल को नमन उनके अदम्य साहस और अनुशासन के लिए। लानत उन राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को जिनकी गलत नीतियों और निर्णयों के कारण १. अनुपयुक्त स्थलों पर भवन खड़े किये गए, २. सडकों के साथ तटबंध की रक्षा के लिए समुचित प्रबंध नहीं हुए, ३. स्थान की क्षमता से अधिक तीर्थयात्री जाने दिए गए, ४. राज्य सरकारों ने चुनावी लाभ के मद्देनज़र गरीबी लोगों को मुफ्त यात्रा का प्रबंध किया फलतः संख्या अत्यधिक बढ़ गयी, ५. आम जन का यह अंध विश्वास कि पुण्य सत्कर्म से घर बैठे नहीं मिल सकता उसके लिए तीर्थ स्थान पर ही है, ६. पंडितों का निजी स्वार्थवश भक्तों को तत्वज्ञान देकर यात्रा के लिए हतोत्साहित न करना, ७. स्थानीय जनों का अर्थ लाभ के लिए स्थान से अधिक यात्री आने पर भी विरोध न करना।
क्या अब कुछ बदलेगा? बिलकुल नहीं, चीख पुकार का समय गया, कुछ समय रहत का दौर, फिर पुनर्निर्माण और फिर भक्तों का रेला अगली दुर्घटना होने तक. क्या हम कुछ नहीं कर सकते ? कर सकते हैं ... यह निश्चय की हम किसी कुम्भ, किसी तीर्थ यात्रा, किसी मेले का हिस्सा नहीं बनेंगे ताकि हमारे कारण हादसे की भयानकता न बढ़े। जब पर्यटन का मन होगा साफ़ मौसम, उपयुक्त स्थिति और कम भीड़ के समय घूमने का आनंद लेंगे। पुण्य हमें अपने घर में ही किसी की मदद करने से मिल जायेगा।
जलप्लावन में शिव प्रतिमा
विवश, बेक़सूर प्रकृति शोषित और लांछित क्यों?
सैन्य बल को नमन उनके अदम्य साहस और अनुशासन के लिए। लानत उन राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को जिनकी गलत नीतियों और निर्णयों के कारण १. अनुपयुक्त स्थलों पर भवन खड़े किये गए, २. सडकों के साथ तटबंध की रक्षा के लिए समुचित प्रबंध नहीं हुए, ३. स्थान की क्षमता से अधिक तीर्थयात्री जाने दिए गए, ४. राज्य सरकारों ने चुनावी लाभ के मद्देनज़र गरीबी लोगों को मुफ्त यात्रा का प्रबंध किया फलतः संख्या अत्यधिक बढ़ गयी, ५. आम जन का यह अंध विश्वास कि पुण्य सत्कर्म से घर बैठे नहीं मिल सकता उसके लिए तीर्थ स्थान पर ही है, ६. पंडितों का निजी स्वार्थवश भक्तों को तत्वज्ञान देकर यात्रा के लिए हतोत्साहित न करना, ७. स्थानीय जनों का अर्थ लाभ के लिए स्थान से अधिक यात्री आने पर भी विरोध न करना।
क्या अब कुछ बदलेगा? बिलकुल नहीं, चीख पुकार का समय गया, कुछ समय रहत का दौर, फिर पुनर्निर्माण और फिर भक्तों का रेला अगली दुर्घटना होने तक. क्या हम कुछ नहीं कर सकते ? कर सकते हैं ... यह निश्चय की हम किसी कुम्भ, किसी तीर्थ यात्रा, किसी मेले का हिस्सा नहीं बनेंगे ताकि हमारे कारण हादसे की भयानकता न बढ़े। जब पर्यटन का मन होगा साफ़ मौसम, उपयुक्त स्थिति और कम भीड़ के समय घूमने का आनंद लेंगे। पुण्य हमें अपने घर में ही किसी की मदद करने से मिल जायेगा।
जलप्लावन में शिव प्रतिमा
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