स्नेह-दीप
संजीव 'सलिल'
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स्नेह-दीप, स्नेह शिखा, स्नेह है उजाला.
स्नेह आस, स्नेह प्यास, साधना-शिवाला.
स्नेह राष्ट्र, स्नेह विश्व, सृष्टि नव समाज.
स्नेह कल था, स्नेह कल है, स्नेह ही है आज.
स्नेह अजर, स्नेह अमर, स्नेह है अनश्वर.
स्नेह धरा, स्नेह गगन, स्नेह मनुज-ईश्वर..
स्नेह राग शुभ विराग, योग-भोग-कर्म.
स्नेह कलम,-अक्षर है. स्नेह सृजन-धर्म..
स्नेह बिंदु, स्नेह सिन्धु, स्नेह आदि-अंत.
स्नेह शून्य, दिग-दिगंत, स्नेह आदि-अंत..
स्नेह सफल, स्नेह विफल, स्नेह ही पुरुषार्थ.
स्नेह चाह, स्नेह राह, स्वार्थ या परमार्थ..
स्नेह पाएं, स्नेह बाँट, स्नेह-गीत गायें.
स्नेह-दीप जला 'सलिल', दिवाली मनायें..
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स्नेह = प्रेम, स्नेह = दीपक का घी/तेल.
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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बुधवार, 3 नवंबर 2010
स्नेह-दीप ------- संजीव 'सलिल'
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करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
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5 टिप्पणियां:
"स्नेह दीप" के द्वारा आपने स्नेह बरसाने का भरसक प्रयास किया है|
स्नेहदीप में स्नेहप्यार भर गावें दीपकराग,
गावें चाहे मालकोंश, खमाज, भैरवी, बिहाग.
सुरभित होगा मेलमिलाप,जब भूलें गिला शिकवा,
स्नेह से कंठ मिले, मिलें स्नेह से मितवा,
मिलें स्नेह से मितवा, हो मंगलमय दीवाली,
स्वस्थ रहें सपरिवार, चहुँ ओर छाये खुशहाली.
अलंकारों से सुसज्जित रचना हेतु आभार !
सलिल जी, हमेशा की तरह बहुत सुन्दर रचना...आपको दीपावली की सपरिवार अनेकों शुभकामनायें.
इतने सारे रंग, ह्रदय आनंदित हो गया |
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