कुल पेज दृश्य

सोमवार, 15 नवंबर 2010

गीत : स्वीकार है..... संजीव 'सलिल'

गीत:

स्वीकार है.....

संजीव 'सलिल'
*
दैव! जब जैसा करोगे
सब मुझे स्वीकार है..... 
*                                                                                        
सृष्टिकर्ता!
तुम्हीं ने तन-मन सृजा,
शत-शत नमन.
शब्द, अक्षर, लिपि, कलमदाता
नमन शंकर-सुवन
वाग्देवी शारदा माँ! शक्ति दें 
हो शुभ सृजन.
लगन-निष्ठा, परिश्रम पाथेय
प्रभु-उपहार है.....
*
जो अगम है, वह सुगम हो
यही अपनी चाहना.
जो रहा अज्ञेय, वह हो ज्ञेय
इतनी कामना.
मलिन ना हों रहें निर्मल
तन, वचन, मन, भावना.
शुभ-अशुभ, सुख-दुःख मिला जो
वही अंगीकार है.....
*
धूप हो या छाँव दोनों में
तुम्हारी छवि दिखी.
जो उदय हो-अस्त हो, यह
नियति भी तुमने लिखी.
नयन मूदें तो दिखी, खोले नयन
छवि अनदिखी.
अजब फितरत, मिला नफरत में
'सलिल' को प्यार है.....
*****

3 टिप्‍पणियां:

shriprakash shukla ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी,
अति सुन्दर.
जीवन यापन का सही मार्ग दर्शित करती हुई इए सशक्त रचना .
बधाई हो
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल

- drajanmejay@yahoo.com ने कहा…

आद० आचार्य जी अभिवादन
सुदंर गीत के लिये बधाई
डा० अजय जनमेजय

achal verma ने कहा…

excellent composition

Your's ,

Achal Verma