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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

स्मृति गीत: हर दिन पिता याद आते हैं... --संजीव 'सलिल'

स्मृति गीत:

हर दिन पिता याद आते हैं...

संजीव 'सलिल'

*

जान रहे हम अब न मिलेंगे.

यादों में आ, गले लगेंगे.

आँख खुलेगी तो उदास हो-

हम अपने ही हाथ मलेंगे.

पर मिथ्या सपने भाते हैं.

हर दिन पिता याद आते हैं...

*

लाड, डांट, झिडकी, समझाइश.

कर न सकूँ इनकी पैमाइश.

ले पहचान गैर-अपनों को-

कर न दर्द की कभी नुमाइश.

अब न गोद में बिठलाते हैं.

हर दिन पिता याद आते हैं...

*

अक्षर-शब्द सिखाये तुमने.

नित घर-घाट दिखाए तुमने.

जब-जब मन कोशिश कर हारा-

फल साफल्य चखाए तुमने.

पग थमते, कर जुड़ जाते हैं

हर दिन पिता याद आते हैं...

*
divyanarmada.blogspot.com

13 टिप्‍पणियां:

Achal Verma ने कहा…

achal verma ekavita

पिता की याद है जीवन संभाले,
नहीं कोई भूला पाये कभी भी.
सबेरे जागकर हमको जगाना,
जगा देती है हम सबको अभी भी.
बहुत मार्मिक कविता के लिए आपको बधाई.

-कृष्ण कन्हैया ने कहा…

kanhaiyakrishna@hotmail.com

आचार्य जी,

आपकी पित्रभक्ति को नमन

बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है

mahesh chandra dwivedy ने कहा…

mcdewedy@gmail.com

sundar bhav salil ji.

ahutee@gmail.com ने कहा…

आ० आचार्य जी,

पिता की स्मृति में मार्मिक गीत के लिये साधुवाद !
सोचता हूँ क्या नई पीढ़ी को भी इसी भाँति पिता याद
आते रहेंगे ?

सादर,
कमल

शरद कोकास: ने कहा…

पिता की स्मृति को इस काव्यात्मक आवरण् में प्रस्तुत करना अच्छा लगा ।

Udan Tashtari ने कहा…

भावुक कर दिया रचना ने.

Kusum Thakur ने कहा…

पिता की याद में लिखी गयी पंक्तियाँ भावुक कर दी !!

shalini rai … ने कहा…

अच्छा और खूब लिखा आपने...दिल को छू जाती है..आपकी कविता..लिखते रहिए..

शालिनी राय

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' … ने कहा…

शंकर जी की आई याद,
बम भोले के गूँजे नाद,
बोलो हर-हर, बम-बम..!
बोलो हर-हर, बम-बम..!!

सुन्दर रचना..
महा-शिवरात्रि की शुभकामनाएँ!

योगेश स्वप्न ने कहा… ने कहा…

yah blog padhkar to hamen bhi bahut yaad aate hain.

RaniVishal ने कहा…

Bahut Sundar Rachana....Aabhar!

ब्लॉगर रोहित … ने कहा…

pag thamte kar jud jaate hain,
har din pita yaad aate hain.

-behad bhav-purn rachna.

sumant ने कहा…

इसे प्रस्तुत करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।