सॉनेट
दुर्गा दुर्गतिनाशिनी दमकें
दुर्गस्वामिनी दुर्जय दम दें।
दुर्गमविद्यादायिनी दुर्गे!
दान-दक्षिणा दया दीप्ति दें।
द्युतिस्वामिन! द्युतिवान दिपदिपा
देह दुर्ग दुनिया दीपित दें।
दस दिश दिखे दयालु! दबदबा
दनुज दल दलें, दमदम दमकें।
दक्षा दक्ष दक्षतादायिनी!
दिन-दिन दूनी दया दिव्य दें।
दुखविदारिणी! दोषहारिणी!
दरियादिल! दात्री! दर्शन दें।
दया दिखा, दुख-दर्द दमनकर
दुर्गा दुर्गतिनाशिनी दमकें
***
दोहा दुनिया
बौरा-गौरा को नमन, करता बौरा आम.
खास बन सके, आम हर, हे हरि-उमा प्रणाम..
*
देख रहा चलभाष पर, कल की झलकी आज.
नन्हा पग सपने बड़े, कल हो इसका राज..
***
गीत
मीत तुम्हारी राह हेरता...
*
मीत तुम्हारी राह हेरता...
*
सुधियों के उपवन में तुमने
वासंती शत सुमन खिलाये.
विकल अकेले प्राण देखकर-
भ्रमर बने तुम, गीत सुनाये.
चाह जगा कर आह हुए गुम
मूँदे नयन दरश करते हम-
आँख खुली तो तुम्हें न पाकर
मन बौराये, तन भरमाये..
मुखर रहूँ या मौन रहूँ पर
मन ही मन में तुम्हें टेरता.
मीत तुम्हारी राह हेरता...
*
मन्दिर मस्जिद गिरिजाघर में
तुम्हें खोजकर हार गया हूँ.
बाहर खोजा, भीतर पाया-
खुद को तुम पर वार गया हूँ..
नेह नर्मदा के निनाद सा
अनहद नाद सुनाते हो तुम-
ओ रस-रसिया!, ओ मन बसिया!
पार न पाकर पार गया हूँ.
ताना-बाना बुने बुने कबीरा
किन्तु न घिरता, नहीं घेरता.
मीत तुम्हारी राह हेरता...
१-४-२०१०
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें