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मंगलवार, 21 मार्च 2017

kundali

कुंडली
*
रूठी राधा से कहें, इठलाकर घनश्याम
मैंने अपना दिल किया, गोपी तेरे नाम
गोपी तेरे नाम, राधिका बोली जा-जा
काला दिल ले श्याम, निकट मेरे मत आ, जा
झूठा है तू ग्वाल, प्रीत भी तेरी झूठी
ठेंगा दिखा हँसें मन ही मन, राधा रूठी
*
कुंडली
कुंडल पहना कान में, कुंडलिनी ने आज
कान न देती, कान पर कुण्डलिनी लट साज
कुण्डलिनी लट साज, राज करती कुंडल पर
मौन कमंडल बैठ, भेजता हाथी को घर
पंजा-साइकिल सर धुनते, गिरते जा दलदल
खिला कमल हँस पड़ा, फन लो तीनों कुंडल
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