अरसात सवैया ( वार्णिक छंद )-7भानस,1राजभा
211 211 211 211 211 211 211 212
( 2 लघु को गुरू मानना वर्जित )
पाँव पड़ूं कर जोर मनावत मातु उमा भव-सागर तारिणी
दीपक धूप कपूर जलावत आरति गावत दुःख निवारिणी
धीरज कौन विधी धरुं मात विचार करो मम काज सवारिणी
मातु हरो मम आपद भीषण दीन दुखी जन को भय हारिणी
लता यादव
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
बुधवार, 29 मार्च 2017
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें