लघुकथा-
गूंगे का गुड़
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गूंगे का गुड़
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अपने लेखन की प्रशंसा सुन मित्र ने कहा आप सब से प्रशंसा पाकर मन प्रसन्न होता है किंतु मेरे पति प्राय: कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते। मेरा ख़याल था कि उन्हें मेरा लिखना पसंद नहीं है परन्तु आप कहते हैं कि ऐसा नहीं है। यदि उन्हें मेरा लिखना औए मेरा लिखा अच्छा लगता है तो यह जानकर मुझे ख़ुशी और गौरव ही अनुभव होगा। मुझे उनकी जो बात अच्छी लगती है मैं कह देती हूँ, वे क्यों नहीं कहते?
मैंने कहा- आपके प्रश्न का उत्तर एक कहावत में निहित है 'गूंगे का गुड़'
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