दो पद
चंचल कान्हा, चपल राधिका, नाद-ताल सम, नाच नाचे
रस-ली, जंग-जमुन सम लहर, संगम अद्भुत द्वैत तजे
ब्रम्ह-जीव सम, हाँ-ना, ना हाँ, देखें सुर-नर वेणु बजे
नूपुर पग, पग-नूपुर, छू म छन, वर अद्वैत न तनिक लजे
श्री वीरेंद्र सिद्धराज के नृत्य पर
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नाद-ताल में, ताल नाद में, रास लास में, लास रास में
भाव-भूमि पर, भूमि भाव पर, हास पीर में, पीर हास में
बिंदु सिंधु मिल रेखा वर्तुल, प्रीत-रीत मिल, मीत! गीत बन
खिल महकेंगे, महक खिलेंगे, नव प्रभात में, नव उजास ले
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