कर्मयोगी सचिन
डॉ. कमला जौहरी डोगरा
*
*
(सचिन के पिता श्री के निधन पश्चात् दिनांक २३.३.१९९९ को भोपाल में लिखी गयी रचना, काव्य संग्रह उदगार से)
कर्मयोगी हो सचिन तुम
विश्व के श्रेष्ठतम खिलाड़ी
तुम्हारा धर्म-कर्म-कर्त्तव्य
सब कुछ रहा क्रिकेट ही
उसके उपासक बनकर रहे.
पत्नी का प्रेम हो या कि
बेटी का वात्सल्य-स्नेह
पिता का शोकमय विछोह
विरत न कर पाया तुम्हें
इस कर्म से, इस धर्म से.
शोकाकुल, परिवार से अतिदूर
दिल संजोये पिता की याद
उड़ गए तुम मुक्ताकाश में यान से
देश की डूबती नैया बचाने को
विश्व कप क्रिकेट के मैदान में.
विश्व कप क्रिकेट के मैदान में.
धन्य है साहसी माता तुम्हारी
दे सकी जो दुःख में भी कर्तव्यबोध
शतक की श्रृद्धांजलि दी-
तुमने पिता को यथायोग्य,
राष्ट्र को सर्वोच्च समझा।
हे गीता के देश के प्यारे!
सच्चे कर्मयोगी खिलाडी
कर्म करो, फल विधाता पर छोड़ दो
कृष्ण का संदेश तो था यही
तुमने सच करके दिखाया।
यह राष्ट्र तुम्हें देता दुआएं अनेक
साथ ही कर्मयोगी की उपाधि।
**********
**********
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil' salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें