ग़ज़ल की ३२ बहरें :
नवीन चतुर्वेदी :
क्र.
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बह्र का नाम
बह्र के अरकान , वर्णिक संकेत
[1= लघु अक्षर, 2 = गुरु
अक्षर]
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शेर बतौरेनज़ीर
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1
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बहरे कामिल मुसम्मन सालिम
मुतफ़ाएलुन मुतफ़ाएलुन
मुतफ़ाएलुन मुतफ़ाएलुन
11212 11212 11212 11212
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ये चमन ही अपना वुजूद है
इसे छोड़ने की भी सोच मत
नहीं तो बताएँगे कल को क्या
यहाँ गुल न थे कि महक न थी
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2
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बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाएलातुन मुफ़ाएलुन फ़ालुन
2122 1212 22
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प्या ‘स’ को प्या ‘र’ करना था केवल
एक अक्षर बदल न पाये हम
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3
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बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़
मुख़न्नक मक़्सूर
मफ़ऊलु फ़ाएलातुन मफ़ऊलु फ़ाएलातुन
221 2122 221 2122
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जब जामवन्त गरजा,
हनुमत में जोश जागा
हमको जगाने वाला,
लोरी सुना रहा है
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4
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बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाएलुन फ़एलातुन मुफ़ाएलुन फ़ालुन
1212 1122 1212 22 |
भुला दिया है जो तूने तो कुछ मलाल नहीं
कई दिनों से मुझे भी तेरा ख़याल नहीं
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5
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बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब
मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊलु फ़ाएलातु
मुफ़ाईलु फ़ाएलुन
221 2121 1221
212
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क़िस्मत को ये मिला तो मशक़्क़त को वो मिला
इस को मिला ख़ज़ाना उसे चाभियाँ मिलीं
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6
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बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122
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कहानी बड़ी मुख़्तसर है
कोई सीप कोई गुहर है
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7
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बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122
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वो जिन की नज़र में है ख़्वाबेतरक़्क़ी
अभी से ही बच्चों को पी. सी. दिला दें
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8
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बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊ
122 122 122 2
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इबादत की किश्तें चुकाते रहो
किराये पे है रूह की रौशनी |
9
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बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ाएलुन
212 212 212
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सीढ़ियों पर बिछी है हयात
ऐ ख़ुशी!
हौले-हौले उतर
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10
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बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर
फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ा
212 212 212 2
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अब उभर आयेगी उस की सूरत
बेकली रंग भरने लगी है
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11
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बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ाएलुन
212 212 212 212
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जब छिड़ी तज़रूबे और डिग्री में जंग
कामयाबी बगल झाँकती रह गयी
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12
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बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’
मुख़ल्ला
मुफ़ाइलुन फ़ाएलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाएलुन फ़ऊलुन
1212 212 122 1212 212 22
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बड़ी सयानी है यार क़िस्मत,
सभी की बज़्में सजा रही है
किसी को जलवे दिखा रही है
कहीं जुनूँ आजमा रही है
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13
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बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212
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ये नस्लेनौ है साहिबो
अम्बर से लायेगी नदी
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14
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बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून
मुस्तफ़इलुन मुफ़ाइलुन
2212 1212
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क्या आप भी ज़हीन थे?
आ जाइये – क़तार में |
15
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बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212
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मैं वो नदी हूँ थम गया जिस का बहाव
अब क्या करूँ क़िस्मत में कंकर भी नहीं
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16
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बहरे रजज़ मुसम्मन सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212 2212
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उस पीर को परबत हुये काफ़ी ज़माना हो गया
उस पीर को फिर से नयी इक तरजुमानी चाहिये
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17
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बहरे रमल मुरब्बा सालिम
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
2122 2122
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मौत से मिल लो,
नहीं तो
उम्र भर पीछा करेगी |
18
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बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन
फ़ाएलातुन फ़एलातुन फ़ालुन
2122 1122 22
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सनसनीखेज़ हुआ चाहती है
तिश्नगी तेज़ हुआ चाहती है
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19
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बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
फ़ाएलुन ,
2122 2122 212
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अजनबी हरगिज़ न थे हम शह्र में
आप ने कुछ देर से जाना हमें
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20
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बहरे रमल मुसद्दस सालिम
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
फ़ाएलातुन
2122 2122 2122
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ये अँधेरे ढूँढ ही लेते हैं मुझ को
इन की आँखों में ग़ज़ब की रौशनी है
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21
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बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
फ़ाएलातुन फ़ाएलुन
2122 2122 21222 212
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वह्म चुक जाते हैं तब जा कर उभरते हैं यक़ीन
इब्तिदाएँ चाहिये तो इन्तिहाएँ ढूँढना
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22
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बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाएलातुन फ़एलातुन फ़एलातुन फ़ालुन
2122 1122 1122 22
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गोया चूमा हो तसल्ली ने हरिक चहरे को
उस के दरबार में साकार मुहब्बत देखी
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23
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बहरे रमल मुसम्मन मशकूल सालिम मज़ाइफ़ [दोगुन]
फ़एलातु फ़ाएलातुन फ़एलातु फ़ाएलातुन
1121 2122 1121 2122
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वो जो शब जवाँ थी हमसे उसे माँग ला दुबारा
उसी रात की क़सम है वही गीत गा दुबारा
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24
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बहरे रमल मुसम्मन सालिम
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
2122 2122 2122 2122
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कल अचानक नींद जो टूटी तो मैं क्या देखता हूँ
चाँद की शह पर कई तारे शरारत कर रहे हैं
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25
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बहरे हज़ज मुसद्दस
महजूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन ,
1222 1222 122
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हवा के साथ उड़ कर भी मिला क्या
किसी तिनके से आलम सर हुआ क्या
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26
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बहरे हज़ज मुसद्दस
सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222
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हरिक तकलीफ़ को आँसू नहीं मिलते
ग़मों का भी मुक़द्दर होता है साहब |
27
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बहरे हजज़ मुसमन अख़रब
मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ महज़ूफ़
मफ़ऊलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
221 1221 1221 122
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आवारा कहा जायेगा दुनिया में हरिक सम्त
सँभला जो सफ़ीना किसी लंगर से नहीं था
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28
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बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब
मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन
221 1222 221
1222
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हम दोनों मुसाफ़िर हैं इस रेत के दरिया के
उनवाने-ख़ुदा दे कर तनहा न करो मुझ को
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29
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बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर
मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम
फ़ाएलुन मुफ़ाईलुन फ़ाएलुन मुफ़ाईलुन
212 1222 212
1222
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ख़ूब थी वो मक़्क़ारी ख़ूब ये छलावा है
वो भी क्या तमाशा था ये भी क्या तमाशा है
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30
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बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर
मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़
फ़ाएलुन मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन
212 1212 1212 1212
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लुट गये ख़ज़ाने और गुन्हगार कोइ नईं
दोष किस को दीजिये जवाबदार कोई नईं
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31
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बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212
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गिरफ़्त ही सियाहियों को बोलना सिखाती है
वगरना छूट मिलते ही क़लम बहकने लगते हैं
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32
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बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
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मुझे पहले यूँ लगता था करिश्मा चाहिये मुझको
मगर अब जा के समझा हूँ क़रीना चाहिये मुझको
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