त्रिपदियाँ 
संजीव 
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परियोजना 
अंकुरित पल्लव 
लेते आकार.
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है अभियंता 
ब्रम्ह का प्रतिनिधि 
भाग्यनियंता 
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बन सकता 
कंकर भी शंकर 
जड़-चेतन 
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कर प्रयास 
श्रम-सीकर बहा
श्रम-सीकर बहा
होगा हुलास 
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परिकल्पना 
पर्याप्त नहीं, कर 
ले संकल्पना 
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तिनके जोड़े 
गिरें तब भी पंछी 
आस न छोड़े 
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लेता आकार 
शिशु और निर्माण
शिशु और निर्माण
स्वप्न साकार 
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मिटने हेतु 
किनारों की दूरियाँ 
बनाओ सेतु 
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बना बिजली 
जल, लेकिन मत 
गिरा बिजली 
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जल अथाह 
बाँध लेता है बाँध 
भरे न आह 
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हम हैं सिर्फ 
प्रस्तोता, दूर कहीं  
रचनाकार 
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Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
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4 टिप्पणियां:
sn Sharma द्वारा yahoogroups.com
आ० आचार्य जी
त्रिपदियाँ और कुण्डली दोनों ही अभूतपूर्व ।
ढेर सराहना के साथ ,
सादर
कमल
Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com
आदरणीय आचार्य जी,
बहुत ही सुन्दर एवं सारगर्भित त्रिपदियाँ l
साधुवाद l
सादर,
कुसुम वीर
- chandawarkarsm@gmail.com
आदरणीय आचार्य जी,
अति सुंदर
आप की त्रिपदियां
मन मुदित
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अंतिम दोनों
विशेष मन भाईं
सत्याधारित
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मुंबई में गिरती इमारतों को देख कर
हे अभियंता!
गिरती इमारतें
भाग्यविधाता :))
सस्नेह
सीताराम चंदावरकर
है अभियंता
ब्रम्ह का प्रतिनिधि
भाग्यनियंता (सुंदर त्रिपदियाँ
शुभ कामनाएँ
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