सरस छटा अनुप्रास की
श्यामल सुमन
०
सच्चे सच का सच स्वरूप ही सहज भाव से है स्वीकार।
सतसंकल्प साधना के संग सृजन सजाता है संसार।।
सघन समस्या है सागर सम संशय समुचित समाधान में।
सकल सोच का सार है साथी संशोधन हो संविधान में।।
सोना से क्या सोना सम्भव सापेक्षी संबंध सनातन।
सही सहायक सोच स्वयं का साध्य सुलभ स्वाधीन सुसाधन।।
सत्कर्मों में सभी समाहित समृद्धि संस्कृति सदाचार।
सज्जनता सौन्दर्य सरलता सरसिज सुरभित संस्कार।।
सामूहिक समता में संचित सबसे सबका सुसंबंध।
सामाजिक सद्भाव सुसज्जित सरसे समरस सदा सुगंध।।
सहमत सुमन सलोने सपने सार्थक सेवा से साकार।
संवेदन सहयोग समर्पण सजल सबल हो सूत्रधार।।
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श्यामल सुमन
०
सच्चे सच का सच स्वरूप ही सहज भाव से है स्वीकार।
सतसंकल्प साधना के संग सृजन सजाता है संसार।।
सघन समस्या है सागर सम संशय समुचित समाधान में।
सकल सोच का सार है साथी संशोधन हो संविधान में।।
सोना से क्या सोना सम्भव सापेक्षी संबंध सनातन।
सही सहायक सोच स्वयं का साध्य सुलभ स्वाधीन सुसाधन।।
सत्कर्मों में सभी समाहित समृद्धि संस्कृति सदाचार।
सज्जनता सौन्दर्य सरलता सरसिज सुरभित संस्कार।।
सामूहिक समता में संचित सबसे सबका सुसंबंध।
सामाजिक सद्भाव सुसज्जित सरसे समरस सदा सुगंध।।
सहमत सुमन सलोने सपने सार्थक सेवा से साकार।
संवेदन सहयोग समर्पण सजल सबल हो सूत्रधार।।
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