हाइकु सलिला :
संजीव
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ईंट-रेट का
मंदिर मनहर
संजीव
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ईंट-रेट का
मंदिर मनहर
देव लापता 
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श्रम-सीकर 
चरणामृत से है 
ज्यादा पावन 
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मर मदिरा 
मत मुझे पिलाना
मत मुझे पिलाना
दे विनम्रता 
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पर पीड़ा से 
तनिक न पिघले 
मानव कैसे?
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मैले मन को 
उजला तन प्रभु!
देते क्यों कर?*
 
 
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