नवगीत:
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgR1tmOCyRtQD5elEeYS9EGIpH3soM5zwv2PXdKWLcpEQkYreITn5EYkUh68jsadNyxE5uah91vhrKfW_jxRDh0ryrvL-puSifO9z-OEtt0ZcjuuYIXWeUrP9OYPM96SP-rjx6aH6s_iUMQ/s200/6.jpg)
समय-समय का फेर है...
संजीव 'सलिल'
*
समय-समय का फेर है,समय-समय की बात.
जो है लल्ला आज वह- कल हो जाता तात.....
*
जमुना जल कलकल बहा, रची किनारे रास.
कुसुम कदम्बी कहाँ हैं? पूछे ब्रज पा त्रास..
रूप अरूप कुरूप क्यों? कूड़ा करकट घास.
पानी-पानी हो गयी प्रकृति मौन उदास..
पानी बचा न आँख में- दुर्मन मानव गात.
समय-समय का फेर है, समय-समय की बात.....
*
जो था तेजो महालय, शिव मंदिर विख्यात.
सत्ता के षड्यंत्र में-बना कब्र कुख्यात ..
पाषाणों में पड़ गए,थे तब जैसे प्राण.
मंदिर से मकबरा बन अब रोते निष्प्राण..
सत-शिव-सुंदर तज 'सलिल'-पूनम 'मावस रात.
समय-समय का फेर है,समय-समय की बात.....
*
घटा जरूरत करो, कुछ कचरे का उपयोग.
वर्ना लीलेगा तुम्हें बनकर घातक रोग..
सलिला को गहरा करो, 'सलिल' बहे निर्बाध.
कब्र पुन:मंदिर बने, श्रृद्धा रहे अगाध.
नहीं झूठ के हाथ हो, कभी सत्य की मात.
समय-समय का फेर है, समय-समय की बात.....
************************************
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgR1tmOCyRtQD5elEeYS9EGIpH3soM5zwv2PXdKWLcpEQkYreITn5EYkUh68jsadNyxE5uah91vhrKfW_jxRDh0ryrvL-puSifO9z-OEtt0ZcjuuYIXWeUrP9OYPM96SP-rjx6aH6s_iUMQ/s200/6.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj3cgc07OvVncx0HQ13raMxBseXHhWZvgbvMVd15HQs7nFluiU72LuecPgaK8GYz5EzR7uS3fSoKivh_H_Z_5C1kaebLUNlcy_oKNYW9BQRE5GW46TLReL-UMVRTh5Nx9KrxTjIk9Ci0Jk/s200/Image-54.jpg)
संजीव 'सलिल'
*
समय-समय का फेर है,समय-समय की बात.
जो है लल्ला आज वह- कल हो जाता तात.....
*
जमुना जल कलकल बहा, रची किनारे रास.
कुसुम कदम्बी कहाँ हैं? पूछे ब्रज पा त्रास..
रूप अरूप कुरूप क्यों? कूड़ा करकट घास.
पानी-पानी हो गयी प्रकृति मौन उदास..
पानी बचा न आँख में- दुर्मन मानव गात.
समय-समय का फेर है, समय-समय की बात.....
*
जो था तेजो महालय, शिव मंदिर विख्यात.
सत्ता के षड्यंत्र में-बना कब्र कुख्यात ..
पाषाणों में पड़ गए,थे तब जैसे प्राण.
मंदिर से मकबरा बन अब रोते निष्प्राण..
समय-समय का फेर है,समय-समय की बात.....
*
घटा जरूरत करो, कुछ कचरे का उपयोग.
वर्ना लीलेगा तुम्हें बनकर घातक रोग..
सलिला को गहरा करो, 'सलिल' बहे निर्बाध.
कब्र पुन:मंदिर बने, श्रृद्धा रहे अगाध.
नहीं झूठ के हाथ हो, कभी सत्य की मात.
समय-समय का फेर है, समय-समय की बात.....
************************************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें