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मंगलवार, 14 जून 2011

दोहा सलिला: आम खास का खास है...... संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:                                                                                    
आम खास का खास है......
संजीव 'सलिल'
*
आम खास का खास है, खास आम का आम.
'सलिल' दाम दे आम ले, गुठली ले बेदाम..

आम न जो वह खास है, खास न जो वह आम.
आम खास है, खास है आम, नहीं बेनाम..

पन्हा अमावट आमरस, अमकलियाँ अमचूर.
चटखारे ले चाटिये, मजा मिले भरपूर..

दर्प न सहता है तनिक,  बहुत विनत है आम.
अच्छे-अच्छों के करे. खट्टे दाँत- सलाम..

छककर खाएं अचार, या मधुर मुरब्बा आम .
पेड़ा बरफी कलौंजी, स्वाद अमोल-अदाम..

लंगड़ा, हापुस, दशहरी,  कलमी चिनाबदाम.
सिंदूरी, नीलमपरी, चुसना आम ललाम..

चौसा बैगनपरी खा, चाहे हो जो दाम.
'सलिल' आम अनमोल है, सोच न- खर्च छदाम..

तोताचश्म न आम है, तोतापरी सुनाम.
चंचु सदृश दो नोक औ', तोते जैसा चाम..

हुआ मलीहाबाद का, सारे जग में नाम.
अमराई में विचरिये, खाकर मीठे आम..

लाल बसंती हरा या, पीत रंग निष्काम.
बढ़ता फलता मौन हो, सहे ग्रीष्म की घाम..

आम्र रसाल अमिय फल, अमिया जिसके नाम.
चढ़े देवफल भोग में, हो न विधाता वाम..

'सलिल' आम के आम ले, गुठली के भी दाम.उदर रोग की दवा है, कोठा रहे न जाम..

चाटी अमिया बहू ने, भला करो हे राम!.
सासू जी नत सर खड़ीं, गृह मंदिर सुर-धाम..

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9 टिप्‍पणियां:

sn Sharma ✆ ekavita ने कहा…

आ० आचार्य जी,
आम पर इससे भी अधिक भी क्या कहा जा सकता है |
आपकी लेखनी को नमन
सादर
कमल

- drdeepti25@yahoo.co.in ने कहा…

अनूठी व अनुपम अभिव्यक्ति !

साधुवाद सलिल जी ...

सादर,

- ibmital@gmail.com ने कहा…

६/१४/११
हज़ार बार मुआफ़ी, लेकिन आम के बारे में यह चुटकी उसका स्वाद नायाब बनाती है!
बक़ौल मिर्ज़ा ग़ालिब, 'गधे भी आम नहीं खाते' के जवाब में:
गधे हैं वे जो आम नहीं खाते!
इंदिरा

- उद्धृत पाठ दिखाएं -
--
Indira Mital
7912 Fielding Lane
Greendale, WI 53129
Ph: (414)421-8046

achal verma ekavita ने कहा…

सचमुच आप महान हो,
मीठे ख़ास पास रख लीनी
हमको तो एक आम ना दीनी
पर, कविता के प्राण हो ||
काहे को याद कराई आपने
काहे ना थोड़ी भिजवाई आपने
देख के जिव्हा को पसीना आ रहा
चित्र इतनी बढ़िया दिखाई आपने
अचल

Your's ,

Achal Verma

डॉ. नागेश पांडेय "संजय" ने कहा…

डॉ. नागेश पांडेय "संजय" …

इस प्रस्तुति के बहाने किशोर आम की सारी प्रजातियाँ जान सकेंगे . आपको हार्दिक धन्यवाद .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) …

दोहे तो अच्छे हैं,
मगर इन्हें बच्चों के लिए समझना कठिन लगता है!

Zakir Ali 'Rajnish' ने कहा…

ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ …

बहुत ही सुंदर दोहे। बधाई।

Divya Narmada ने कहा…

आप सबको धन्यवाद. आदरणीय मयंक जी का अभिमत सर-आँखों पर किन्तु कुझे नहीं लगता की संगणक, गणित, विज्ञान जैसे कठिन विषयों को सरलता से समझ सकनेवाले बच्चों को कुछ नए शब्द मिलने से वे अर्थ ग्रहण करने में असमर्थ होंगे अपितु उनके शब्द भंडार के समृद्ध होने वे अधिक सक्षमता से अपनी बात कहने में समर्थ होंगे.

चैतन्य शर्मा : ने कहा…

आम की बातें बताते मजेदार दोहे.....

चैतन्य शर्मा द्वारा नन्हा मन, June 16, 2011