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सोमवार, 2 मई 2011

सत्‍य साईं: अवतार, भगवान, जादूगर या सेक्‍स का भूखा भेडि़या!

सत्‍य साईं: अवतार, भगवान, जादूगर या सेक्‍स का भूखा भेडि़या!

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पुट्टापर्थी के सत्‍य साईं का निधन हो गया है। रविवार २४  अप्रैल की सुबह सात बजकर ४० मिनट पर उन्‍होंने अपना शरीर छोड़ दिया। ८५  वर्षीय सत्‍य साईं को दिल और सांस संबंधी समस्‍याओं के बाद २८ मार्च को अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। पिछले २८ दिनों से सत्‍य साईं की जिंदगी के लिए भले ही लाखों हाथ दुआ के लिए उठ रहे थे, लेकिन समय-समय पर ऐसे हाथ भी आगे आए हैं, जिन्‍होंने उन पर यौन शोषण, बाल यौन शोषण और समलैंगिक संबंध बनाने तक के आरोप लगाए हैं। खुद को भगवान और साईं बाबा का अवतार बताने वाले सत्‍य साईं का चरित्र भारतीय भक्‍तों के लिए अलौकिक, चमत्‍कारिक और अवतारी रहा है तो विदेशी भक्‍तों ने उन्‍हें सेक्‍स का भूखा भेडि़या तक कहा है।

राजू से सत्‍यसाईं तक का सफर
सत्य साईं बाबा के  बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुत्तपार्थी गांव में २३  नवंबर १९२६  को हुआ था। वह श्री पेदू वेंकप्पाराजू एवं मां ईश्वराम्मा की संतानों में सत्यनारायणा एक भाई और दो बहनों के बाद सब से छोटे थे। उनके माता-पिता मजदूरी कर घर चलाते थे। कहा जाता है कि जिस क्षण उनका जन्म हुआ, उस समय घर में रखे सभी वायंत्र स्वत: बजने लगे और सर्प बिस्तर के नीचे से फन निकालकर छाया करता पाया गया।
सत्य नारायण भगवान की पूजा का प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात शिशु का जन्म हुआ था, अतएव नवजात का नाम सत्य नारायण रखा गया। सत्यनारायण ने अपने गांव पुत्तपार्थी में तीसरी क्लास तक पढ़ाई की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वो बुक्कापटनम के स्कूल चले गए। आठ वर्ष की अल्प आयु से ही उन्‍होंने ने सुंदर भजनों की रचना शुरू की। चित्रावती के किनारे ऊंचे टीले पर स्थित इमली के वृक्ष से साथियों की मांग पर, विभिन्न प्रकार के फल व मिठाइयां सृजित करते थे। यह इमली का वृक्ष आज भी है।
खुद को किया साई बाबा का अवतार घोषित
कहा जाता है कि ८ मार्च १९४० को जब वो कहीं जा रहे थे तो उनको एक बिच्छू ने डंक मार दिया। कई घंटे तक वो बेहोश पड़े रहे। उसके बाद के कुछ दिनों में उनके व्यक्तित्व में खासा बदलाव देखने को मिला। वो कभी हंसते, कभी रोते तो कभी गुमसुम हो जाते। उन्होंने संस्कृत में बोलना शुरू कर दिया जिसे वो जानते तक नहीं थे।

डॉक्टरों ने सोचा उन्हें दौरा पड़ा है। उनके पिता ने उन्हें कई डॉक्टरों, संतों,  और ओझाओं से दिखाया, लेकिन कुछ खास फर्क नहीं पड़ा। २३  मई १९४० को उनकी दिव्यता का लोगों को अहसास हुआ। सत्य साईं ने घर के सभी लोगों को बुलाया और चमत्कार दिखाने लगे। उनके पिता को लगा कि उनके बेटे पर किसी भूत की सवारी आ गई है। उन्होंने एक छड़ी ली और सत्यनारायण से पूछा कि कौन हो तुम? सत्यनारायण ने कहा 'मैं शिव शक्ति स्वरूप, शिरडी साईं का अवतार हूं ।' इस उदघोषणा के बाद उन्होंने मुट्ठी भर चमेली के फूलों को हवा में उछाल दिया, जिनसे धरती पर गिरते ही तेलुगू अक्षरों में 'साईंबाबा ’ लिख गया।
शिरडी के साईं बाबा, सत्य साईं की पैदाइश से 8 साल पहले ही गुजर चुके थे। खुद को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित करने के वक्‍त सत्‍य साईं की उम्र १४ वर्ष थी। बाद में उनके पास श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी। उन्होंने मद्रास और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों की यात्रा की। उनके भक्तों की तादाद बढ़ गई। हर गुरुवार को उनके घर पर भजन होने लगा, जो बाद में रोजाना हो गया।
२० अक्टूबर १९४० को उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और घोषणा की कि भक्तों की पुकार उन्हें बुला रही है और उनका मुख्य कार्य उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। १९४४ में सत्य साईं के एक भक्त ने उनके गांव के नजदीक उनके लिए एक मंदिर बनाया जो आज पुराने मंदिर के नाम से जाना जाता है। उन्होंने पुट्टापत्र्ती में 'प्रशांति निलयम ’ आश्रम की स्थापना की, जिसका उद्घाटन बाबा के २५वें जन्म दिन पर १९५० में उन्हीं के द्वारा किया गया।
१९५७ में साईं बाबा उत्तर भारत के दौरे पर गए। १९६३ में उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ा। ठीक होने पर उन्होंने एलान किया कि वो कर्नाटक प्रदेश में प्रेम साईं बाबा के रूप में पुन: अवतरित होंगे।
२९ जून १९६८ को उन्होंने अपनी पहली और एकमात्र विदेश यात्रा की। वो युगांडा गए जहां नैरोबी में उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यहां आपके दिल में प्यार और सद्भाव का दीप जलाने आया हूं, मैं किसी धर्म के लिए नहीं आया, किसी को भक्त बनाने नहीं आया, मैं तो प्यार का संदेश फैलाने आया हूं।
कैसे-कैसे आरोप
४० हजार करोड़ रुपये के आध्यात्मिक साम्राज्य के सर्वेसर्वा सत्य साईं पर भक्तों को सम्मोहित करके उनका यौन शोषण करने के कई आरोप लगे हैं। ब्रिटेन, स्वीडन, जर्मनी और अमेरिका के सांसदों के कई समूहों ने यह भी आरोप लगाए कि सत्‍य साईं बाबा तिकड़म और हाथ की सफाई दिखाते हैं। आरोपों के अनुसार आंध्र प्रदेश में पुट्टपर्थी स्थित सत्‍य साईं के आश्रम में इस तरह की शर्मनाक गतिविधियां लंबे समय से चलती रही हैं और इनके बारे में कभी पुलिस रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई। सामान्य शारीरिक संबंधों के अलावा समलैंगिक गतिविधियों में शामिल होने के उन पर कई बार आरोप लगे हैं। कई भक्तों ने समय-समय पर यह भी आरोप लगाए कि उन्हें मोक्ष दिलाने के बहाने उनके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए।
भारतीय प्रधानमंत्री लेते रहे हैं आशीर्वादयह अलग बात है कि नरसिम्‍हाराव, अटलबिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और न जाने कितने ही भारत के प्रधानमंत्री, मुख्‍यमंत्री, सांसद, नौकरशाह व नेता उसके पैर में अपना सिर नवाते रहे हैं। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर व डांसर माइकल जैक्‍सन भी उनके शिष्‍य रहे हैं। लाखों भक्‍त उनके भभूत निकालने, सोने की जंजीर निकालने और ऐसे कई चमत्‍कारों की वजह से उन्‍हें अपना भगवान मानते रहे हैं। कईयों का दावा है कि सत्‍य साईं की वजह से उनकी जिंदगी में खुशियां आई, लेकिन इसके उलट कई विदेशी भक्‍तों ने उन्‍हें सेक्‍स कुंठित, सेक्‍स का भूखा भेडि़या और न जाने क्‍या-क्‍या कहा। भारत में कभी उनके खिलाफ एक पुलिस रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की जा सकी, लेकिन उनके विदेशी भक्‍तों ने अपने-अपने देश में उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करा रखा है।
कुछ आरोपों के उदाहरणमलेशिया की एक भक्त ने सीधे सत्य साईं बाबा पर समलैंगिक संबंध बनाने के लिए जोर डालने का आरोप लगाया। ऐसे ही ब्रिटेन की एक महिला ने यहां तक कहा कि बाबा और उनके सहयोगियों ने लंबे समय तक उसका शारीरिक शोषण किया। ज्यादातर आरोप किशोरों और युवा भक्तों द्वारा लगाए गए हैं। १९७० में एक ब्रिटिश लेखक टाल ब्रोक ने सत्य साईं बाबा को 'सेक्स का भूखा भेड़िया' करार दिया था। कैलिफोर्निया (अमेरिका) के रहने वालेग्लेन मैनॉय ने अमेरिकी अदालत में सत्य साईं बाबा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अर्जी दी। आश्रम में यौन शोषण और आर्थिक धोखाधड़ी के शिकार हुए कई लोगों की रिपोर्ट जब पुलिस ने नहीं लिखी तो उन्होंने अपने उच्चायोगों और दूतावासों में शिकायतकी और आखिरकार अपने देशों में जा कर शिकायत लिखवाई।
बीबीसी की रिपोर्टजून २००४ में बीबीसी ने अपने कार्यक्रम 'द सीक्रेट स्‍वामी' में दावा किया कि भारत से लेकर कैलीफोर्निया तक सत्‍य साईं बाबा के कई पूर्व भक्‍तों ने उनसे मुंह मोड़ लिया है। इनका आरोप है कि बाबा ने उनकी जिंदगी बर्बाद की है। चैनल ने बाबा की एक पूर्व भक्‍त अलाया के हवाले से कहा कि बाबा ने उसका यौन शोषण किया। इस कार्यक्रम में दिए बाइट में अलाया ने कहा, 'मुझे उनकी (सत्‍य साईंबाबा) वो बात याद है कि यदि तुम मेरा कहा नहीं मानोगी हो तो मैं तुम्‍हे बर्बाद कर सकता हूं। तुम्‍हे जीवन में कष्‍ट और परेशानियां झेलनी पड़ेंगी।'
ब्रिटेन में मचा था बवंडर२००६ में ब्रिटेन में बाबा को लेकर नया विवाद उस वक्‍त शुरू हुआ जब सत्‍य साईं ट्रस्‍ट ब्रिटेन के ड्यूक ऑफ इडनबर्ग के अवार्ड चैरिटी का पार्टनर बना। दोनों पक्षों के बीच तय हुआ कि चैरिटी के करीब २०० युवा वालंटियर श्री सत्‍य साईं संगठन के लिए काम करने भारत जाएंगे। स्‍थानीय लोगों के विरोध के बाद सत्‍य साईं बाबा संगठन की ब्रिटिश स्थित शाखा साईं यूथ यूके ने अपने कदम पीछे खींच लिए। कई लोगों (जिनमें सत्‍य साई के पूर्व भक्‍त भी शामिल थे) ने सवाल किए कि जब बाबा का चरित्र संदिग्‍ध है तो चैरिटी ने ऐसा फैसला क्‍यों किया। ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने इस मुद्दे को तूल देते हुए कहा कि ड्यूक ऑफ इडनबर्ग अवार्ड से उस आध्‍यात्मिक समूह से जोड़ा जा रहा है जिसके संस्‍थापक पर बच्‍चों का यौन शोषण करने के आरोप हैं।

ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसद टोनी कोलमेन और भूतपूर्व ब्रिटिश मंत्री टॉम सैक्रिल ने तो यह मामला ब्रिटिश संसद में भी उठाया था। उन्होंने बीबीसी की एक रिपोर्ट को सबूत के तौर पर पेश किया था और मांग की कि सत्य साईं बाबा को ब्रिटेन आने के लिए हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाए।
कैसे-कैसे चमत्‍कार
सत्य साईं बाबा उस वक्‍त ज़्यादा लोकप्रिय हुए जब उन्होंने तरह-तरह के चमत्कार दिखने शुरू किया- जैसे हाथ में अचानक सोने की चेन ले आना, अपने पेट से उल्टी के जरिए शिवलिंग उगलना, हवा से भभूत पैदा करना आदि। उनके चमत्कारों की बात फैलने लगी और हवा में हाथ घुमा कर विभूति या राख से लेकर बहुमूल्य आभूषण और कीमती घड़ियाँ प्रस्तुत करने की क्षमता के चर्चे होने लगे वैसे-वैसे उनके भक्तों की संख्या भी बढ़ने लगी। लेकिन सन १९९० में सत्‍य साई ने ढोंगी होने का आरोप लगने के बाद चमत्कार दिखाना बन्द कर दिया। बाद के वर्षों में देश विदेश में बसे उनके अनेक भक्तों ने दावा किया कि उनके घरों में सभी देवी देवताओं की मूर्तियों तथा चित्रों से विभूति, कुमकुम, शहद, रोली शिवलिंग प्रकट होते हैं, जिसे वह खुद के लिए सत्‍य साईं का आशीर्वाद मानते हैं।

पीसी सरकार ने सामने ही दे डाली थी चुनौती
हैदराबाद में एक समारोह में उन्होंने हवा में हाथ लहराकर सोने की ज़ंजीर अपनी भक्तों को दिखाई लेकिन बाद में उसका वीडियो देखने से पता चला की वो ज़ंजीर उन्होंने अपनी आस्तीन से निकाली थी।
इस घटना के बाद कई बुद्धिजीवियों ने साईं बाबा को चुनौती दी कि वो अपना लबादा निकाल कर और आम कपड़े पहने कर उनका सामना करें और चमत्कार दिखाएं.
एक बार बंगाल के मशहूर जादूगर पी सी सरकार ने भी उन के मुकाबले में हाथ की सफ़ाई दिखाई. जहाँ बाबा ने कीमती घड़ी हवा में से निकालने का दावा किया वहीं उसी आश्रम में मौजूद सरकार ने रसगुल्ला पेश कर के हंगामा मचा दिया। साईं बाबा के कर्मचारियों ने उन्हें वहां से निकाल बाहर किया.

उनके आश्रम में चार लोगों की हुई थी हत्‍या
उस के कुछ ही समय बाद चार युवा उनके प्रशांति निलयम में सुरक्षा कर्मियों के हाथों मारे गए. आश्रम के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने साईं बाबा के बेडरूम में घुस कर उन्हें मारने की कोशिश की थी. इस घटना ने कई दूसरी अफ़वाहों को जन्म दिया लेकिन सच्चाई कभी सामने नहीं आ सकी.

सामाजिक कार्य
सत्‍य साईं ने देश-विदेश में करीब १६७ आध्यात्मिक केंद्र स्थापित किए। उन का सबसे बड़ा काम सूखे से पीड़ित अनंतपुर ज़िले में हुआ जहाँ उन्होंने करीब गांवों के लिए पीने के पानी की योजना पर ३०० करोड़ रुपए खर्च किए। पुट्टपर्ति नगर में उन्होंने एक विश्वविद्यालय, गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए आधुनिक अस्पताल, एयरपोर्ट और स्टेडियम बनवाया।

भक्‍तों को एक और अवतार की उम्‍मीद
साईं बाबा ने ही भविष्‍यवाणी की थी कि वह ९६ साल तक जिंदा रहेंगे और फिर २०२३ में कर्नाटक के मांडया जिले के गुनापर्थी गांव में प्रेमा साईं बाबा के रूप में नया अवतार लेंगे। उनके मुताबिक यह साईं का अंतिम अवतार होगा। प्रेमा साईं का जिक्र पहली बार १९६३ में सत्‍य साईं ने एक प्रवचन के दौरान किया था।
उन्‍होंने कहा था, भगवान शिव ने कहा था कि शिव और शक्ति भारद्वाज गोत्र में तीन बार जन्‍म लेंगे। फिर २००८ में सत्‍य साईं ने कहा था कि प्रेमा साईं के अवतरित होने से सभी मानवों के बीच जबरदस्‍त एकता बढ़ेगी। बाबा ने यह भी कहा था कि प्रेमा साईं बाबा का शरीर बनने की प्रक्रिया चल रही है। उन्‍होंने यह तक बताया था कि प्रेमा साईं बाबा का जन्‍म कस्‍तूरी के गर्भ से होगा। अब सत्‍य साईं के भक्‍तों को प्रेमा साईं बाबा के अवतार का इंतजार है।
हालांकि उनका देहावसान ८६ वर्ष की उम्र में ही हो गया और उनकी ९६ साल तक जिंदा रहने की भविष्‍यवाणी झूठी साबित हो गई, लेकिन उनके भक्‍तों को उम्‍मीद है कि साईं का तीसरा अवतार होगा और वह उनके बीच प्रेमा साईं के रूप में आएंगे।

सत्‍य साईं की शिक्षा
इस समय विश्व के लगभग १६७ जगहों पर सत्य साईं केंद्रों की स्थापना हो चुकी है। भारत के लगभग सभी प्रदेशों में साईं संगठन  हैं। सत्‍य साई का कहना है कि विभिन्न मतों को मानने वाले, अपने-अपने धर्म को मानते हुए, अच्छे मानव बन सके। साईं मिशन को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि बच्चों को बचपन से ऐसा वातावरण उपलब्ध हो, जिसमें उनको अच्छे संस्कार मिलें और पांच मानवीय मूल्यों, सत्य, धर्म, शान्ति, प्रेम और अहिंसा को अपने चरित्र में ढालते हुए वे अच्छे नागरिक बन सकें।
* व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म को माने पर परम निष्ठा के साथ धर्म का पालन करना चाहिए।
* सदैव दूसरे धर्म का आदर करना चाहिए।
* सदैव अपने देश का आदर करो हमेशा उसके कानूनों का पालन करना चाहिए।
* परमात्मा एक है, पर उसके नाम अलग-अलग हैं।
* रोजमर्रा की जिंदगी में अच्छे व्यवहार और नैतिकता को कड़ाई से शामिल करना चाहिए।
* बिना किसी उम्मीद के गरीबों, जरूरतमंदों और बीमारों की मदद करनी चाहिए।
* सत्य का मूल्य, आध्यात्मिक प्रेम, अच्छे आचरण, शांति और अहिंसा का पालन और प्रसार करना चाहिए
 
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