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बुधवार, 6 जनवरी 2010

सरस्वती वंदना : ३ संजीव 'सलिल'

सरस्वती वंदना : ३


संजीव 'सलिल'


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हे हंसवाहिनी! ज्ञानदायिनी!

अम्ब विमल मति दे...

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नाद-ब्रम्ह की नित्य वंदना.

ताल-थापमय सृजन-साधना.

सरगम कंठ सजे...

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रुनझुन-रुनझुन नूपुर बाजे.

नटवर-चित्रगुप्त उर साजे.

रास-लास उमगे...

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अक्षर-अक्षर शब्द सजाये.

काव्य-छंद, रस-धार बहाये.

शुभ साहित्य सृजे...

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सत-शिव-सुन्दर सृजन शाश्वत.

सत-चित-आनंद भजन भागवत.

आत्म देव पुलके...

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कंकर-कंकर प्रगटे शंकर.

निर्मल करें ह्रदय प्रयलंकर.

'सलिल' सतत महके...

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Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com/

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