छंद सलिला २
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२६ हाकलि छंद
विधान-
हाकलि त्रय चौकल गुरु ले।
ग्यारह वर्ण द्वि चरणन ले।।
वर्ण उचित दस बाकी में।
नियम शिथिल हो मानव में॥
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भारत सम भारत भर है।
जो श्रम करता वह नर है।।
धर्म निबल जन की रक्षा।
कर्म सबल मन की कक्षा।।
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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