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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

सॉनेट, लघुकथा, गीत, नवगीत, मुहावरे, आँख, धतूरा, सैनिक

शिवरात्रि पर विशेष 
रमा-उमा संवाद 
.
रमा-
कहु गिरिजा! कित गया भिखारी?
उमा-
बलि-द्वारे पर गया रमा री!
...
 
सॉनेट
धतूरा
*
सदाशिव को है 'धतूरा' प्रिय।
'कनक' कहते हैं चरक इसको।
अमिय चाहक को हुआ अप्रिय।।
'उन्मत्त' सुश्रुत कहें; मत फेंको।।
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तेल में रस मिला मलिए आप।
शांत हो गठिया जनित जो दर्द।
कुष्ठ का भी हर सके यह शाप।।
मिटाता है चर्म रोग सहर्ष।।
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'स्ट्रामोनिअम' खाइए मत आप।
सकारात्मक ऊर्जा धन हेतु।
चढ़ा शिव को, मंत्र का कर जाप।
पार भव जाने बनाएँ सेतु।।
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'धुस्तूर' 'धत्तूरक' उगाता बाल।
फूल, पत्ते, बीज,जड़ अव्याल।।
१७-२-२०२३ 
...
सॉनेट
प्रभु जी
प्रभु जी! तुम नेता, हम जनता।
झूठे सपने हमें दिखाते।
समर चुनावी जब-जब ठनता।।
वादे कर जुमला बतलाते।।
प्रभु जी! अफसर, हम हैं चाकर।
लंच-डिनर ले पैग चढ़ाते।
खाता चालू हम, तुम लॉकर।।
रिश्वत ले, फ़ाइलें बढ़ाते।।
प्रभु जी धनपति, हम किसान हैं।
खेत छीन फैक्टरी बनाते।
प्रभु जी कोर्ट, वकील न्याय हैं।।
दर्शन दुलभ घर बिकवाते।।
प्रभु कोरोना, हम मरीज हैं।
बादशाह प्रभु हम कनीज़ हैं।।
•••
सॉनेट
धीर धरकर
पीर सहिए, धीर धरिए।
आह को भी वाह कहिए।
बात मन में छिपा रहिए।।
हवा के सँग मौन बहिए।।
कहाँ क्या शुभ लेख तहिए।
मधुर सुधियों सँग महकिए।
दर्द हो बेदर्द सहिए।।
स्नेहियों को चुप सुमिरिए।।
असत् के आगे न झुकिए।
श्वास इंजिन, आस पहिए।
देह वाहन ठीक रखिए।
बनें दिनकर, नहीं रुकिए।।
शिला पर सिर मत पटकिए।
मान सुख-दुख सम विहँसिए।।
१७-२-२०२२
•••
सॉनेट
सैनिक
सीमा मुझ प्रहरी को टेरे।
फल की चिंता करूँ न किंचित।
करूँ रक्त से धरती सिंचित।।
शौर्य-पराक्रम साथी मेरे।।
अरिदल जब-जब मुझको घेरे।
माटी में मैं उन्हें मिलाता।
दूध छठी का याद कराता।।
महाकाल के लगते फेरे।।
सैखों तारापुर हमीद हूँ।
होली क्रिसमस पर्व ईद हूँ।
वतन रहे, होता शहीद हूँ।।
जान हथेली पर ले चलता।
अरि-मर्दन के लिए मचलता।
काली-खप्पर खूब से भरता।।
१७-२-२०२२
•••
क्षणिका 
धतूरा 
.
महक छटा से 
भ्रमित हो  
अमृत न मानो। 
विष पचाना सीख लो 
तब मीत जानो। 
मैं धतूरा 
सदाशिव को 
प्रिय बहुत हूँ। 
विरागी हूँ, 
मोह-माया से रहित हूँ। 
...
लघुकथा
सबक
*
'तुम कैसे वेलेंटाइन हो जो टॉफी ही नहीं लाये?'
''अरे उस दिन लाया तो था, अपने हाथों से खिलाई भी थी।भूल गयीं?''
'भूली तो नहीं पर मुझे बचपन में पढ़ा सबक आज भी याद है। तुमने कुछ पढ़ा-लिखा होता तो तुम्हें भी याद होता।'
''अच्छा, तो मैं अनपढ़ हूँ क्या?''
'मुझे क्या पता? कुछ पढ़ा होता तो सबक याद न होता?'
''कौन सा सबक?''
'वही मुँह पर माखन लगा होने के बाद भी 'मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो' कहनेवाला सूर का पद। जब मेरे आराध्य को रोज-रोज खाने के बाद भी माखन खाना याद नहीं रहा तो एक बार खाई टॉफी कैसे??? चलो माफ़ किया अब आगे से याद रखना सबक। '
***
गीत :
समा गया तुम में
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समा गया है तुममें
यह विश्व सारा
भरम पाल तुमने
पसारा पसारा
*
जो आया, गया वह
बचा है न कोई
अजर कौन कहिये?
अमर है न कोई
जनम बीज ने ही
मरण बेल बोई
बनाया गया तुमसे
यह विश्व सारा
भरम पाल तुमने
पसारा पसारा
*
किसे, किस तरह, कब
कहाँ पकड़ फाँसे
यही सोच खुद को
दिये व्यर्थ झाँसे
सम्हाले तो पाया
नहीं शेष साँसें
तुम्हारी ही खातिर है
यह विश्व सारा
वहम पाल तुमने
पसारा पसारा
१७-२-२०१७

***
आँख पर मुहावरे:
आँख मारना = इंगित / इशारा करना।
मुझे आँख मारते देख गवाह मौन हो गया।
आँखें आना = आँखों का रोग होना।
आँखें आने पर काला चश्मा पहनें।
आँखें चुराना = छिपाना।
उसने समय पर काम नहीं किया इसलिए आँखें चुरा रहा है।
आँखें झुकना = शर्म आना।
वर को देखते ही वधु की आँखें झुक गयीं।
आँखें झुकाना = शर्म आना।
ऐसा काम मत करो कि आँखें झुकाना पड़े।
आँखें टकराना = चुनौती देना।
आँखें टकरा रहे हो तो परिणाम भोगने की तैयारी भी रखो।
आँखें दिखाना = गुस्से से देखना।
दुश्मन की क्या मजाल जो हमें आँखें दिखा सके?
आँखें फेरना = अनदेखी करना।
आज के युग में बच्चे बूढ़े माँ-बाप से आँखें फेरने लगे हैं।
आँखें बंद होना = मृत्यु होना।
हृदयाघात होते ही उसकी आँखें बंद हो गयीं।
आँखें मिलना = प्यार होना।
आँखें मिल गयी हैं तो विवाह के पथ पर चल पड़ो।
आँखें मिलाना = प्यार करना।
आँखें मिलाई हैं तो जिम्मेदारी से मत भागो।
आँखों में आँखें डालना = प्यार करना।
लैला मजनू की तरह आँखों में ऑंखें डालकर बैठे हैं।
आँखें मुँदना = नींद आना, मर जाना।
लोरी सुनते ही ऑंखें मुँद गयीं।
माँ की आँखें मुँदते ही भाई लड़ने लगे।
आँखें मूँदना = सो जाना।
उसने थकावट के कारण आँखें मूँद लीं।
आँखें मूँदना = मर जाना। डॉक्टर इलाज कर पते इसके पहले ही घायल ने आँखें मूँद लीं।
आँखें लगना = नींद आ जाना। जैसे ही आँखें लगीं, दरवाज़े की सांकल बज गयी।
आँखें लड़ना = प्रेम होना।
आँखें लड़ गयी हैं तो सबको बता दो।
आँखें लड़ाना = प्रेम करना।
आँखें लड़ाना आसान है, निभाना कठिन।
आँखें बिछाना = स्वागत करना।
मित्र के आगमन पर उसने आँखें बिछा दीं।
आँखों का काँटा = शत्रु।
घुसपैठिए सेना की आँखों का काँटा हैं।
आँखों की किरकिरी = जो अच्छा न लगे।
आतंकवादी मानव की आँखों की किरकिरी हैं।
आँखों में खून उतरना = अत्यधिक क्रोध आना।
कसाब को देखते ही जनता की आँखों में खून उतर आया।
आँखों में धूल झोंकना = धोखा देना।
खड़गसिंग बाबा भारती की आँखों में धूल झोंक कर भाग गया।
आँखों से गिरना = सम्मान समाप्त होना।
झूठे आश्वासन देकर नेता मतदाताओं की आँखों से गिर गए हैं।
आँखों-आँखों में बात होना = इशारे से बात करना।
आँखों-आँखों मने बात हुई और दोनों कक्षा से बाहर हो गये।
आँखों ही आँखों में इशारा हो गया / बैठे-बैठे जीने का सहारा हो गया।
आँखों-आँखन में बात होने दो / मुझको अपनी बाँहों में सोने दो।
आँख से सम्बंधित मुहावरे:
अंधो मेँ काना राजा = अयोग्यों में खुद को योग्य बताना।
अंधों में काना राजा बनने से योग्यता सिद्ध नहीं होती।
एक आँख से देखना = समानता का व्यवहार करना।
समाजवाद तो नाम मात्र का है, अपने दाल और अन्य दलों के लोगों को कोई भी एक आँख से कहाँ देखता है?
फूटी आँखों न सुहाना = एकदम नापसंद करना।
माली की बेटी रानी को फूटी आँखों न सुहाती थी।
कहावत
अंधे के आगे रोना, अपने नैना खोना = नासमझ/असमर्थ के सामने अपनीव्यथा कहना।
नेताओं से सत्य कहना अंधे के आगे रोना, अपने नैना खोना ही है।
आँख का अंधा नाम नैन सुख = नाम के अनुसार गुण न होना।
उसका नाम तो बहादुर पर छिपकली से डर भी जाता हैं, इसी को कहते हैं आँख का अँधा नाम नैन सुख।
***
सामयिक लघुकथा:
ढपोरशंख
संजीव 'सलिल'
*
कल राहुल के पिता उसके जन्म के बाद घर छोड़कर सन्यासी हो गए थे, बहुत तप किया और बुद्ध बने. राहुल की माँ ने उसे बहुत अरमानों से पाला-पोसा बड़ा किया पर इतिहास में कहीं राहुल का कोई योगदान नहीं दीखता.
आज राहुल के किशोर होते ही उसके पिता आतंकवादियों द्वारा मारे गए. राहुल की माँ ने उसे बहुत अरमानों से पाला-पोसा बड़ा किया पर देश के निर्माण में कहीं राहुल का कोई योगदान नहीं दीखता.
सबक : ढपोरशंख किसी भी युग में हो ढपोरशंख ही रहता है.
१७-२-२०१३

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