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शनिवार, 7 मई 2022

सॉनेट, माहिया गीत, दोहा, मुक्तक

सॉनेट 
विनय
प्रभु! जो करवाना, करवा लो
मैं हूँ केवल यंत्र तुम्हारा
चाहे जिसके पग पुजवा लो
एक बार तो हो पौ बारा

रमा रहा मन सदा रमा में
रति से रति पल पल करता है
जमा रखा है कमा कमा के
क्षति हो तनिक न छिप धरता है

क्षमा करो हे भव भय हारी
तुम मायापति हो संरक्षक
माया दे मम दशा सँवारी
जनम-जनम का मैं हूँ भिक्षुक 

मंदिर-मस्जिद सिर झुकवा लो
लेकिन अंबानी बनवा दो
७-५-२०२२
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माहिया गीत
मौसम के कानों में
*
(माहिया:पंजाब का त्रिपदिक मात्रिक छंद है. पदभार १२-१०-१२, प्रथम-तृतीय पद सम तुकांत, विषम पद तगण+यगण+२ लघु = २२१ १२२  ११, सम पद २२ या २१ से आरंभ, एक गुरु के स्थान पर दो गुरु या दो गुरु के स्थान पर एक लघु का प्रयोग किया जाता है, पदारंभ में २१ मात्रा का शब्द वर्जित।)
*
मौसम के कानों में
कोयलिया बोले,
खेतों-खलिहानों में।
*
आओ! अमराई से
आज मिल लो गले,
सरसों सरसाई से।
बोलो सौदाई से
दिल न मिला करता
रूपया या पाई से।।
आमों के दानों में,
गर्मी रस घोले,
बागों-बागानों में---
*
होरी, गारी, फगुआ
गाता है फागुन,
बच्चा, बब्बा, अगुआ।
हो पैर-खड़े बबुआ
काम नहीं आते
यारां लगा-भगुआ।।
प्राणों में, गानों में,
मस्ती है छाई,
दाना-नादानों में---
*
***
दोहा सलिला:
मन में अब भी रह रहे, पल-पल मैया-तात।
जाने क्यों जग कह रहा, नहीं रहे बेबात।।
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कल की फिर-फिर कल्पना, कर न कलपना व्यर्थ।
मन में छवि साकार कर, अर्पित कर कुछ अर्ध्य।।
*
जब तक जीवन-श्वास है, तब तक कर्म सुवास।
आस धर्म का मर्म है, करें; न तजें प्रयास।।
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मोह दुखों का हेतु है, काम करें निष्काम।
रहें नहीं बेकाम हम, चाहें रहें अ-काम।।
*
खुद न करें निज कद्र गर, कद्र करेगा कौन?
खुद को कभी सराहिए, व्यर्थ न रहिए मौन.
*
प्रभु ने जैसा भी गढ़ा, वही श्रेष्ठ लें मान।
जो न सराहे; वही है, खुद अपूर्ण-नादान।।
*
लता कल्पना की बढ़े, खिलें सुमन अनमोल।
तूफां आ झकझोर दे, समझ न पाए मोल।।
*
क्रोध न छूटे अंत तक, रखें काम से काम।
गीता में कहते किशन, मत होना बेकाम।।
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जिस पर बीते जानता, वही; बात है सत्य।
देख समझ लेता मनुज, यह भी नहीं असत्य।।
*
भिन्न न सत्य-असत्य हैं, कॉइन के दो फेस।
घोडा और सवार हो, अलग न जीतें रेस।।
७.५.२०१८
***
मुक्तक
बात हो बेबात तो 'क्या बात' कहा जाता है.
छू ले गर दिल को तो ज़ज्बात कहा जाता है.
घटती हैं घटनाएँ तो हर पल ही बहुत सी लेकिन-
गहरा हो असर तो हालात कहा जाता है.
दोहा
कौन अकेला जगत में, प्रभु हैं सबके साथ.
काम करो निष्काम रह, उठा-झुकाओ माथ..
७-५-२०२२

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