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शनिवार, 7 मई 2022

जापानी छंद कतौता
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कतौता लिखो,
अपनी राह चुनो 
नए सपने बुनो। 
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कभी न बनो 
लकीर के फकीर,
पुरानी लीक तोड़ो। 
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प्यार को प्यार 
कम मिलता यार,
क्यों होते हो बेज़ार?
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दीप से दीप 
जलाते चलो भाई 
तब होगा उजाला। 
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कोयल कूकी 
दहका है पलाश 
पर्वत पर आग। 
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बरसात में 
नदिया है बौराई 
भूल गई मर्यादा। 
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जो हुआ; हुआ 
बिसरा; आगे बढ़ो 
उठो! भविष्य गढ़ो। 
*
वर्ण पिरोएँ 
पाँच-सात औ' सात 
कतौता रचें आप। 
*
इंद्र धनुष 
सतरंगी कमान 
शर लापता। 
७-५-२०२२ 
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