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रविवार, 3 मई 2020

दोहे गरमागरम

दोहे गरमागरम :
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जेठ जेठ में हो रहे, गर्मी से बदहाल
जेठी की हेठी हुई, थक हो रहीं निढाल
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चढ़ा करेला नीम पर, लू पर धूप सवार
जान निकाले ले रही, उमस हुई हथियार
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चुआ पसीना तर-बतर, हलाकान हैं लोग
पोंछे टेसू हवा से, तनिक न करता सोग
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नीम-डाल में डाल दे, झूला ठंडी छाँव
पकी निम्बोली चूस कर, भूल न जाना गाँव
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मदिर गंध मन मोहती, महुआ चुआ बटोर
ओली में भर स्वाद लूँ, पवन न करना शोर
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कूल न कूलर रह गया, हीट कर रही तंग
फैन न कोई फैन का, हारा बेबस जंग
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एसी टसुए बहाता, बिजली होती गोल
पीट रही है ढोल लू, जय सूरज की बोल
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दोहे गरमागरम सुन, उड़ा जा रहा रंग
मेकप सारा धुल गया, हुई गजल बदरंग
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