गीत:
चुभती बूँदें
अविनाश ब्योहार
*
बुरे हुए दिन
चुभती बूँदें
अविनाश ब्योहार
*
बुरे हुए दिन
चुभती बूँदें
शूल सी!
दामिनी सा
दुःख तड़का
जेहन में!
ख्वाबों की
जागीर है
रेहन में!!
अल्पवृष्टि लगती
मौसम की
भूल सी!
कैसा मौसम
आया कि
मेह न बरसे!
नदी, ताल, विटप
सहमें हैं
डर से!!
खेतिहर की
सूरत है
मुरझाये फूल सी!
*
रायल एस्टेट, कटंगी मार्ग
माढ़ोताल, जबलपुर, ९८२६७९५३७२
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