कुल पेज दृश्य

शनिवार, 28 जुलाई 2018

doha

एक दोहा
बहुत हुआ अब मानिए, रूठे रहिए यों न।
नीर-क्षीर सम हम रहे, मिल आपस में ज्यों न।।
*

कोई टिप्पणी नहीं: