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सोमवार, 4 दिसंबर 2017

muktak chhand harigitikaa

मुक्तक
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संवेदना की सघनता
वरदान है, अभिशाप भी.
अनुभूति की अभिव्यक्ति है
चीत्कार भी, आलाप भी.
निष्काम हो या कामकारित
कर्म केवल कर्म है-
पुण्य होता आज जो, होता
वही कल पाप है.
छंद- हरिगीतिका
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